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‘ब्लैक एंड व्हाइट’ में बिकता है नशा, भोपाल में हर महीने करते 45 लाख रु. का कारोबार

 

नशे के सौदागरों ने राजधानी को दो सेक्टर, ब्लैक एंड व्हाइट में बांट लिया है। ब्लैक यानी अफीम से बनी ड्रग और व्हाइट यानी कैमिकल ड्रग। कैमिकल ड्रग के सबसे ज्यादा खरीदार युवा हैं, जिन्हें शहर के 15-20 हुक्का लाउंज और पब्स में इस नशे की लत लगाई जा रही है। नशे के लिए पैसे कमाने का लालच देकर फिर इन्हीं यूजर्स से कैमिकल ड्रग की तस्करी करवाई जाती है। फिलहाल ब्लैक एंड व्हाइट ड्रग के 50 से ज्यादा तस्कर हर महीने 45 लाख से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं।

2 अक्टूबर को ही प्रतिबंधित ड्रग एम-कैट (मेफेड्रोन) के साथ शोएब सलीम समेत दो लाेगों को एसटीएफ ने पकड़ा। इसी तरह 4 जुलाई को मेथिलीन डाइऑक्सी मेथ एमफिटामिन (एमडीएमए) की तस्करी के आरोप में अदिति शर्मा, पुष्पेंद्र सिंह और जाफर हुसैन को गिरफ्तार किया गया था। इन पांचों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस नशे के सबसे ज्यादा खरीदार युवा हैं। स्कूल-कॉलेज जाने वाले ये युवा कैसे इस नशे के आगोश में समाते चले जाते हैं|

ब्लैक ड्रग यानी ओपियम (अफीम) से बनी ड्रग। स्मैक, ब्राउन शुगर और गांजा जैसे नशे ब्लैक ड्रग में शुमार हैं।

  • स्मैक पुराने भोपाल की सबसे प्रचलित ड्रग। पहले नीमच-मंदसौर से आती थी, अब मैनपुरी-जालौन से आवक। कीमत 500 रुपए प्रतिग्राम।
  • गांजा सबसे सस्ता, इसलिए महीनेभर में एक क्विंटल तक खपत। उड़ीसा-छत्तीसगढ़ से ट्रेन के जरिए बड़ी सप्लाई। सूखी घास के रंग का।
  • ब्राउन शुगर दानेदार रहती है। इसे पन्नी के पीछे रखकर स्मोक किया जाता है। देश में पाकिस्तान और पंजाब से ज्यादा सप्लाई। यहां राजस्थान, मंदसौर-नीमच, भिंड-मुरैना से आवक|
  • कैमिकल से बनी ड्रग्स व्हाइट ड्रग में शुमार है। यह हाई सेंसेटिव ड्रग है। महंगी होने से इसके यूजर्स हाई सोसायटी के लोग हैं। शहर में इसकी खपत ब्लैक ड्रग के मुकाबले आधी भी नहीं है, लेकिन इसका कारोबार बड़ा है।
  • हाईक्वालिटी चरस कश्मीर और नेपाल से सप्लाई होता है। यहां लाकर डायजापाम दवा मिलाते हैं और मात्रा बढ़ा लेते है। इफेक्ट वही रहता है। 20 हजार रुपए प्रति किलो।
  • कोकीन की आवक महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से भी है।
  • एमडीएमए एस्टेसी और एक्स के नाम से भी जाना जाता है। हर महीने 500 ग्राम की खपत, प्रतिग्राम कीमत 5000 रुपए।
  • एम-कैट और एमडीएमए का आदी बनाकर यंगस्टर्स से ही इसे बिकवाया जा रहा है। हुक्का लाउंज-बार में ये सौदे किए जा रहे हैं।
  • शहर में इन दिनों 30 से ज्यादा हुक्का लाउंज संचालित किए जा रहे हैं। ज्यादातर पुलिस की जानकारी में हैं, लेकिन भोपाल पुलिस महज 10-12 पर ही कार्रवाई कर पाई है। 15-20 हुक्का लाउंज और पब्स पर एसटीएफ की नजर है।
  • शरीर को खोखला कर देती है केमिकल ड्रग

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