फ्लोटिंग रेट पर कर्ज लेने वाले लोगों को घटी हुई ब्याज दरों का फायदा देने में बैंकों की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरबीआई से जवाब मांगा। इस मुद्दे से जुड़ी याचिका निपटाते हुए कोर्ट ने रिजर्व बैंक से पूछा कि बैंकों की मनमानी रोकने के लिए दिए गए सुझावों पर उसने क्या फैसला लिया है। आरबीआई को छह सप्ताह में जवाब देना होगा।
याचिकाकर्ता मनी लाइफ फाउंडेशन के सुझावों को कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2017 को आरबीआई के पास भेजकर फैसला लेने को कहा था। फाउंडेशन ने एक जनहित याचिका के जरिये चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि विभिन्न बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां मिडिल और लोअर मिडिल क्लास को फ्लोटिंग रेट पर होम, एजुकेशन और व्हीकल लोन इत्यादि देती हैं। जब बैंकों की लागत बढ़ती है तो ये ब्याज की दरें तुरंत बढ़ा देते हैं। लेकिन, जब यह लागत घटती है तो छह-छह माह तक ब्याज दरें नहीं घटाई जातीं।