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एमजे अकबर के ’97 वकीलों की फ़ौज’ और एक अकेली महिला पत्रकार

मीटू कैंपेन के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने अपनी सफाई देने के बाद कानूनी रास्ता अपनाया है। उन्होंने आरोप लगानेवाली एक पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का केस किया है। अकबर ने सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपने वकीलों के माध्यम से यह केस किया।

एमजे अकबर पर करीब एक दर्जन महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इसके बाद विपक्षी दल जोर-शोर से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। फिर रविवार को अकबर ने खुद सामने आकर सफाई दी थी। इस्तीफे की मांग को नजरअंदाज करते हुए विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर ने कहा था कि उनके खिलाफ आरोप झूठे और निराधार हैं। उन्होंने आरोप लगाने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही थी।

दैनिक अखबार ‘द टेलीग्राफ’ और पत्रिका ‘संडे’ के संस्थापक संपादक रहे अकबर 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। अकबर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री हैं।

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