गुजरात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (31 अक्टूबर) आजाद भारत के पहले गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया। यह स्टैच्यू दुनिया में सबसे ऊंची है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है। ऊंचाई में यह अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का दुगना है। जबकि रियो डी जेनेरियो के क्राइस्ट द रिडीमर टावर से चार गुना ऊंचा है। इसको बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
इस स्मारक के लिए 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना के लिए लोहा दान किया। इसके लिए 5000 मीट्रिक टन लोहे का जमा किया गया। इस प्रतिमा को बनाने का जिम्मा प्रख्यात मूर्तिकार पद्म भूषण राम वनजी सुतार को दिया गया था। यह अहमदाबाद से 200 किमी दूर जनजाति जिले नर्मदा के सरदार सरोवर डैम के निकट बनाया गया है। यह मूर्ति पटेल को श्रद्धांजलि है।
इस स्टैच्यू के निर्माण में 25,000 टन लोहे और 90,000 टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। मूर्ति को 7 किमी दूर से देखा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए पैदल रास्ता, फोर लेन हाईवे की सुविधा है। पास में ही 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन थ्री स्टार होटल है।
- आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुम्बी आधार भी रखा है। दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार साहब के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी।
- सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीज़ा लेना पड़ता। सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है।
- सरदार साहब के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया। देखते ही देखते, भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।
- सरदार पटेल ने 5 जुलाई, 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव, हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।
- सरदार पटेल का ये स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान, हमारे सामर्थ्य, का प्रतीक तो है ही, ये देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है। इससे हज़ारों आदिवासी बहन-भाइयों को हर वर्ष सीधा रोज़गार मिलने वाला है।
- हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरजोर जवाब दें। इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है। समाज के तौर पर एकजुट रहना है। आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है। देश के विकास के लिए, यही एक रास्ता है, जिसको लेकर हमें आगे बढ़ना है। देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना, एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार साहब हमें देकर गए हैं।