- अभिमत

नशे में सिरमौर होता जा रहा भारत

प्रतिदिन:

भारत का अब कोई भी बड़ा शहर नशे के व्यापार से अछूता नहीं है |अवैध दवाएं और नशीले पदार्थों का सेवन और कारोबार चुनौती बनता जा रहा है| व्यापक स्तर पर जारी अभियानों के बावजूद हेरोइन, चरस, गांजा जैसे नशीले पदार्थ आसानी से लोगों के बीच उपलब्ध हो रहे हैं|अवैध कारोबारियों का आसान निशाना युवा बन रहे हैं| इन नशों के अतिरिक्त देश के व्यापक हिस्से में तंबाकू का जिस सहज स्वीकार्यता के साथ सेवन किया जाता है, वह भयावह है|

भारत अवैध दवाओं और तंबाकू आदि नशीले पदार्थों के उपभोग में दक्षिण एशियाई देशों में अव्वल है| संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल आदि दक्षिण एशियाई देशों में भेजे जानेवाले हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ भारत से होकर जाते हैं और अधिकांश देश के भीतर खपत कर लिये जाते हैं|आज, देश में लगभग पचास लाख से ज्यादा लोग हेरोइन का सेवन कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर युवा हैं| नशीले पदार्थों के सेवन के कारण, देश में लाइलाज बीमारियों में ४० प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है| नशे के इस अवैध कारोबार के पीछे बड़े अंतरराष्ट्रीय माफिया हैं, जिनके तार आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं और स्थानीय स्तर पर उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है|

हाल ही में इंटरपोल ने ११६ देशों में नशे के इस कारोबार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान के अंतर्गत लगभग ५०० टन नशीले पदार्थ और अवैध दवाइयां जब्त की हैं| जिन्हें ऑनलाइन माध्यमों से कैंसर और दर्द-निवारक दवाओं के नाम पर बेचा जा रहा था| यह धंधा इंटरनेट के माध्यम से भी चलता है | अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में ऐसी ५०० के लगभग वेबसाइटों की पहचान की है|

नशीले पदार्थों के सेवन और इससे जुड़े अपराधों के कारण विभिन्न देशों में हर साल हजारों जानें जा रही हैं|अफगानिस्तान में नशीले पदार्थों की पूरी अलग अर्थव्यवस्था खड़ी है, जो दक्षिण एशिया में आतंकवाद को खाद-पानी दे रही है| पूरे विश्व में आपराधिक एवं आतंकवादी गिरोहों का यह गठजोड़ जमीन से लेकर ऑनलाइन माध्यमों तक मजबूती से फैला हुआ है|

इस मसले पर अक्तूबर २०१८ में आयोजित संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत ने नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया है| विभिन्न देशों के बीच साझा कार्रवाई की राह में राजनीतिक और आधिकारिक अवरोध आ जाते हैं, जबकि अवैध धंधे में लिप्त गिरोहों के आपसी तार बखूबी सक्रिय बने रहते हैं| ऐसे में देशों और उनकी एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्य और सहभागिता बनाने की जरूरत है|

नशे का कारोबार युवाओं की कार्यक्षमता, स्वास्थ्य सेवा के संसाधनों, नागरिक सुरक्षा तथा आर्थिक सशक्तीकरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जो कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए बेहद खतरनाक है| ऐसे में नीतिगत पहल के साथ सामाजिक जागरूकता और नशे की लत से बचाये गये लोगों के पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *