नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की जांच के लिए दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, अदालत ने केंद्र को राहत देते हुए कहा कि जब तक हम तय नहीं करते, तब तक सरकार को याचिकाकर्ताओं को राफेल की कीमतों के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सरकार से 2015 में ऑफसेट गाइडलाइन बदलने पर सवाल किया। सरकार ने कहा कि ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट मुख्य सौदे के साथ-साथ चलता है। एयर वाइस मार्शल चेलापति ने कहा कि वायुसेना को पांचवीं पीढ़ी के विमानों की जरूरत है, इसलिए राफेल का चयन किया गया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में कहा- राफेल डील में बदलाव किया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते थे कि ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट अंबानी की कंपनी को दिया जाए। याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से अदालत में पेश की गई रिपोर्ट से खुलासा होता है कि यह एक गंभीर घोटाला है। उन्होंने यह केस पांच जजों की बेंच के पास ट्रांसफर करने की अपील की।