साइंस/USA: नासा ने रचा इतिहास, नासा का रोबोटिक मार्स लैंडर सोमवार रात 1:24 बजे मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतर गया। नासा के मुताबिक, पहली बार दो एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट्स ने किसी स्पेसक्राफ्ट का पीछा करते हुए उस पर नजर रखी। इस पूरे मिशन पर 99.3 करोड़ डॉलर (करीब 7044 करोड़ रुपए) का खर्च आया। ये दोनों सैटेलाइट मंगल पर पहुंच रहे स्पेसक्राफ्ट से छह हजार मील पीछे चल रहे थे। नासा ने इसी साल 5 मई को कैलिफोर्निया के वंडेनबर्ग एयरफोर्स स्टेशन से एटलस वी रॉकेट के जरिए मार्स लैंडर लॉन्च किया था।
358 किलो के इनसाइट का पूरा नाम ‘इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सीस्मिक इन्वेस्टिगेशंस’ है। सौर ऊर्जा और बैटरी से चलने वाला यह यान 26 महीने तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिशन में यूएस, जर्मनी, फ्रांस और यूरोप समेत 10 से ज्यादा देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं। इनसाइट प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक ब्रूस बैनर्ट ने कहा कि यह एक टाइम मशीन है, जो यह पता लगाएगी कि 4.5 अरब साल पहले मंगल, धरती और चंद्रमा जैसे पथरीले ग्रह कैसे बने। इसका मुख्य उपकरण सीस्मोमीटर (भूकंपमापी) है, जिसे फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी ने बनाया है। लैंडिंग के बाद ‘रोबोटिक आर्म’ सतह पर सेस्मोमीटर लगाएगा। दूसरा मुख्य टूल ‘सेल्फ हैमरिंग’ है जो ग्रह की सतह में ऊष्मा के प्रवाह को दर्ज करेगा। नासा ने इनसाइट को लैंड कराने के लिए इलीशियम प्लैनिशिया नाम की लैंडिंग साइट चुनी। यहां सतह सपाट थी, जिससे सीस्मोमीटर लगाना और सतह को ड्रिल करना आसान हुआ।