नई दिल्ली: देश के छह अलग-अलग शहरों में चल रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अपने नाम को ख़राब कर रहे है. नई दिल्ली स्थित एम्स के तर्ज पर खुले ये केन्द्र डॉक्टरों की कमी, दोषपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर और घटिया ऑपरेशन थियेटर से जूझ रहे हैं. साल 2012 में सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के सपनों के साथ देश में नए एम्स खोले गए थे.
भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश स्थित एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं के निरीक्षण के लिए संसदीय स्थायी समिति का गठन किया गया था. समिति ने अपनी जांच में नए खुले एम्स में ‘मानव संसाधनों की घोर कमी’ पाई है. संसदीय समिति ने चेताया है कि पर्याप्त मानव संसाधन के अभाव में इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई मतलब नहीं रह जाता है.