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मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष बने गोपाल भार्गव

भोपाल: भाजपा से आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव को मध्य प्रदेश का नेता प्रतिपक्ष चुना गया है। सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक में लिया गया। केंद्र से आए पर्यवेक्षक और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गोपाल भार्गव के नाम का ऐलान किया। उसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और सभी विधायकों ने हाथ उठाकर प्रस्ताव पर सहमति जता दी।

भाजपा विधायक गोपाल भार्गव को नेता विपक्ष चुना गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें बधाई दी, तो भार्गव ने सकारात्मक सहयोग का वादा किया।

सागर के रहली विधानसभा क्षेत्र से आठ बार से विधायक गोपाल भार्गव भाजपा में चुनकर आए सभी विधायकों में सबसे सीनियर हैं। नेता प्रतिपक्ष की रेस में गोपाल भार्गव के साथ ही नरोत्तम मिश्रा भी थे, लेकिन आखिरी मौके पर भार्गव को सर्व सहमति से विधायक दल का नेता चुना गया। नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के साथ ही भाजपा ने ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने की कोशिश भी की है।

कौन हैं गोपाल भार्गव 

  • गोपाल भार्गव रहली से विधायक हैं। वह इस सीट से 1985 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं और 8वीं बार विधायक चुने गए हैं।
  • उनका जन्म 01 जुलाई 1952 में हुआ था। सागर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था।
  • उसके बाद सागर की रहली विधानसभा सीट से वो विधायक बने और तब से इस सीट का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
  • प्रदेश में सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के बाद दूसरा नंबर गोपाल भार्गव का है।
  • वो ही ऐसे नेता हैं जो लगातार एक सीट से इतने चुनाव जीत चुके हैं। रहली सीट भाजपा की गढ़ मानी जाती है।
  • इस सीट पर भाजपा की पकड़ इतनी मजबूत है कि कांग्रेस यहां प्रतीकात्मक रूप से ही अपना उम्मीदवार खड़ा करती है।
  • इस बार उन्होंने कांग्रेस के कमलेश्वर साहू को 26 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराया। गोपाल भार्गव अलग-अलग विभागों में भाजपा सरकार में 15 साल तक मंत्री रहे।

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