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चंदा कोचर मामले में FIR करने वाले CBI अफसर का तबादला

New Delhi: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ मामला दर्ज करने वाले अधिकारी का तबादला कर दिया गया है. पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी सुधांशु धर मिश्रा ने यह केस दर्ज किया था जिनका तबादला कर दिया गया है. दिल्ली में सीबीआई के बैंकिंग और सुरक्षा धोखाधड़ी सेल में मिश्रा की जगह विश्वजीत दास को तैनात किया गया है. वहीं सीबीआई के उच्च सूत्रों का कहना है कि इस मामले की सूचना लीक करने के आरोप की वजह से अधिकारी का तबादला किया गया है. सूचना लीक करने के मामले में आतंरिक जांच के आदेश दिए गए हैं.

दिलचस्प बात यह है कि सीबीआई के बैंक सुरक्षा और धोखाधड़ी सेल (बीएस एंड एफसी), नई दिल्ली इकाई के संयुक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा ने एफआईआर में चंदा कोचर मामले में पीई की सहमति दी थी, लेकिन इसे लागू करने से पहले ही सिन्हा की जगह मुरादसन को तैनात कर दिया गया. इस तबादले का आदेश ऐसे समय आया है, जब दो दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने चंदा कोचर के खिलाफ कार्रवाई पर सीबीआई पर सवाल उठाए थे.

अरुण जेटली ने चंदा कोचर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर शुक्रवार को निशाना साथा था. उन्होंने सीबीआई को दुस्साहस से बचने और सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी थी. जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे समय की थी जब एक ही दिन पहले सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में बैंकिंग क्षेत्र के के.वी. कामत और अन्य को पूछताछ के लिए नामजद किया.

अमेरिका में इलाज करा रहे जेटली ने ट्वीट किया कि, ‘भारत में दोषियों को सजा मिलने की बेहद खराब दर का एक कारण जांच तथा पेशेवर रवैये पर दुस्साहस और प्रशंसा पाने की आदत का हावी हो जाना है. जेटली ने कहा, पेशेवर जांच और जांच के दुस्साहस में आधारभूत अंतर है. हजारों किलोमीटर दूर बैठा मैं जब आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? यदि हम बैंकिंग उद्योग से हर किसी को बिना सबूत के जांच में शामिल करने लगेंगे तो हम इससे क्या हासिल करने वाले हैं या वास्तव में नुकसान उठा रहे हैं.’

गौरतलब है कि सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है. सीबीआई ने चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपये के ऋणों को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सिलसिले में यह मामला दर्ज किया है.

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