अब से कुछ हफ़्तों बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में लगभग 80 करोड़ मतदाता और लगभग 2000 चुनावी दल हिस्सा लेने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव से जुड़ी यही बात इस चुनावी प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बनाती है, और इस जटिल चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता इस आधार पर तय होती है कि चुनाव के लिए डाले गए मतों की गिनती करने की प्रक्रिया कितनी पुख़्ता है.
भारत के चुनावी इतिहास की बात करें तो ईवीएम मशीनों के प्रयोग से पहले देशभर में अलग-अलग स्तरों पर होने वाले चुनाव मतदान केंद्रों पर हमले, मतपेटियों में मत भरने जैसी घटनाओं से प्रभावित रहे हैं, और ये हमले राजनीतिक पार्टियों के लिए काम करने वाले असामाजिक तत्व किया करते थे.
लेकिन नई सदी के आगमन के साथ ही चुनावों में ईवीएम मशीनों का प्रयोग शुरू होने के बाद ऐसी घटनाएं बीते दिनों की बातें हो गई हैं. हालांकि, समय-समय पर इन मशीनों की प्रामाणिकता पर सवाल उठते रहे हैं. अक्सर, चुनाव हारने वाली पार्टियां सवाल उठाती हैं कि इन मशीनों को हैक किया जा सकता है.