नई दिल्ली. आपका बच्चा किस खेल में अच्छा कर सकता है, यह बात पहले ही पता चल सकती है। विदेश में ऐसा दशकों से हो रहा है, लेकिन भारत में यह ट्रेंड अभी नया है। दिल्ली में सरकार ने फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी में दो साल पहले एकेडमी ऑफ स्पोर्ट्स साइंस रिसर्च एंड मैनेजमेंट (एएसएसआरएम) शुरू की थी। इसके अलावा देशभर में कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट खुल चुके हैं।
अब तक सिर्फ 170 पैरेंट्स ने ही कराई बच्चों की जांच
हालांकि, अवेयरनेस की कमी की वजह से ज्यादातर पेरेंट्स इन सुविधाओं का फायदा नहीं ले पाए हैं। दिल्ली की सरकारी एकेडमी में कुल 170 पैरेंट्स ही बच्चों को परखने के लिए लेकर आए हैं। बच्चों में खेल प्रतिभा की परख के लिए लंबाई और वजन के अनुसार बच्चों से वर्टिकल जंप, एक खास पोजिशन में बैठ कर बॉस्केट बॉल थ्रो करना, 800 और 30 मीटर की दौड़, 10 मीटर x 6 मीटर की दौड़ आदि करके करके ग्राउंड की बेसिक प्रतिभाएं देखी जाती हैं।
मशीनें बताती हैं कि शरीर में कितना स्टेमिना
इसके आगे का काम मशीनों से होता है। मशीनों से बॉडी की अंदरुनी ताकत और स्टेमिना जांचा जाता है। बॉडी वॉटर, प्रोटीन, मिनरल, बॉडीमास, वेस्ट-हिप रेशो, फैट फ्री मास, बेसल मेटाबॉलिक रेट जैसे कई जांचों के बाद एक्सपर्ट की टीम ग्राउंड और मशीनों से मिले रिलज्ट्स का विश्लेषण करती है। एकेडमी के डायरेक्टर अंशुल बगाई ने बताया, ‘प्रतिभा आकने के बाद बच्चे को उसी खेल में डालना चाहिए, जिसमें वह नेचुरली अच्छा कर सकता है।’