बेंगलुरु: बुधवार से शुरू होने वाले एयर शो से पहले रिहर्सल के दौरान वायुसेना के दो सूर्यकिरण विमान क्रैश हो गए। हादसा मंगलवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर येलाहंका एयरबेस पर हुआ। क्रैश हुए विमानों के पायलटों में से एक की मौत हो गई, जबकि दो पायलट जान बचाने में कामयाब हो गया। एक नागरिक के जख्मी होने की भी खबर है। ये विमान सूर्यकिरण एयरोबेटिक्स टीम के थे। सूर्यकिरण विमान का 2011 में इस्तेमाल बंद कर दिया गया था। हालांकि, 2015 में इन्हें दोबारा वायुसेना में शामिल कर लिया गया।
विमान जिस तरह से अचानक जमीन पर आए उसे देखकर माना जा रहा है कि इनके इंजन हवा में ही बंद हो गए थे। जमीन पर गिरते ही उनमें आग लग गई। कुछ मलबा भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) के परिसर के पास गिरा।
#WATCH Two aircraft of Surya Kiran Aerobatics Team crashed today at Yelahanka airbase in Bengaluru, during rehearsal for #AeroIndia2019. One civilian hurt. Both pilots ejected, the debris has fallen near ISRO layout, Yelahanka new town area. #Karnataka pic.twitter.com/gJHWx6OtSm
— ANI (@ANI) February 19, 2019
टू-सीटर सूर्यकिरण विमान एयरफोर्स की एयरोबेटिक्स टीम का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल सेना में प्रशिक्षण के लिए किया जाता है। इसकी रफ्तार 450 से 500 किलोमीटर तक होती है। 27 मई 1996 को कर्नाटक के बीदर में सूर्यकिरण टीम का गठन किया गया था। 1998 में बेंगलुरु में हुए एयर शो में इसने करतब दिखाए। इसके बाद श्रीलंका से लेकर सिंगापुर तक इसके 450 से ज्यादा शो हुए।
#WATCH Two aircraft of the Surya Kiran Aerobatics Team crash at the Yelahanka airbase in Bengaluru, during rehearsal for #AeroIndia2019. More details awaited. pic.twitter.com/kX0V5O0n6R
— ANI (@ANI) February 19, 2019
सूर्यकिरण टीम की ओर से करतब दिखाने के दौरान कई बार हादसे हो जाते है। मार्च 2006 में बीदर के निकट अभ्यास के दौरान एक विमान क्रैश हो गया था। इस हादसे में विंग कमांडर धीरज भाटिया और स्क्वाड्रन लीडर शैलेन्द्र सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी तरह जनवरी 2009 में बीदर में ही एक प्रदर्शन के दौरान विंग कमांडर आरएस धालीवाल का विमान क्रैश हो गया था।
एयर फोर्स की ब्रांड एम्बेसडर बन चुकी सूर्य किरण टीम में सिर्फ 13 पायलट होते हैं। इनके चयन के मापदंड बहुत ऊंचे हैं। सिर्फ लड़ाकू फाइटर जेट उड़ाने वाले पायलट ही इसमें चुने जाते हैं। प्रत्येक पायलट को कम से कम 2000 घंटों की उड़ान का अनुभव होना अनिवार्य होता है। साथ ही 1000 घंटे तक सूर्यकिरण विमान उड़ाने का अनुभव भी होना चाहिए। सभी पायलट विमान प्रशिक्षक होने चाहिए। इस टीम में उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए होती है।