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सामाजिक बदलाव के लिए स्वयं में बदलाव जरूरी- राज्यपाल श्रीमती पटेल

Bhopal : राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि सामाजिक बदलाव के लिए स्वयं में परिवर्तन लाना जरूरी है। चिंतन को कार्यरूप में परिवर्तित करने की पहल में चिंतकों का योगदान जरूरी है। विचार-विमर्श ही बदलाव का आधार बनेगा। श्रीमती पटेल आज मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग और उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान द्वारा आयोजित इंडियन रीजनल सांइस एसोसिएशन के 50 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। राज्यपाल ने इंडियन जर्नल ऑफ रीजनल साइंस का विमोचन भी किया। श्रीमती पटेल को संस्थान द्वारा बच्चों के पढ़ने के लिए रूचिकर पुस्तकों का सेट भेंट किया गया।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि किसी कार्य की सिद्धि के लिए लक्ष्य बनाकर प्रयास करना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर से शुरू कार्य ही वृहद आकार लेते हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिए की गई पहल के सार्थक परिणाम सब जगह दिखाई दे रहे हैं। देश में शौचालय निर्माण का कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो गया है। परिवर्तन सभी क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण-संरक्षण के लिए पौध-रोपण और जल-संरक्षण के प्रयास करना हम सबकी जिम्मेदारी है। श्रीमती पटेल ने निजी विश्वविद्यालयों में पीपल का पौध-रोपण कराने और ड्रिप एरीगेशन के क्षेत्र में सक्रिय सहयोग करने की सलाह दी। राज्यपाल ने संगोष्ठी के निर्णयों के क्रियान्वयन की आवश्यकता बताते हुए नियमित समीक्षा पर बल दिया।

श्रीमती पटेल ने कहा कि बदलाव एक दिन में नहीं होता। इसके लिये निरंतर प्रयास जरूरी हैं। समाज के बदलाव में महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ महिलाओं का सबसे ज्यादा समय बीतता है। वे ही बच्चों के जीवन में स्वच्छता, स्वास्थ्य और संस्कार रोपित कर सकती हैं। उन्होंने जल और भोजन के अपव्यय को रोकने पर विशेष बल दिया और इसके लिये संकल्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। श्रीमती पटेल ने पर्यावरण-संरक्षण और पौध-रोपण के लिए अनुपजाऊ भूमि पर पर्यटन केन्द्रों की स्थापना, बच्चों की उम्र के हिसाब से उन्हें खेलने, पढ़ने, आहार और विचार के विषयों की गंभीरता और महत्व पर प्रकाश डाला।

निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अखिलेश कुमार पांडे ने अधिवेशन के उद्देश्यों की जानकारी दी। रीजनल साइंस एसोसिएशन के सचिव प्रो.सी आर पाठक ने एसोसिएशन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। संयोजक प्रो. मनीष शर्मा ने अधिवेशन की गतिविधियों का विवरण दिया।

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