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अब आतंकवाद पर बात करने का वक्त नहीं, दुनिया उसके खिलाफ एकजुट होकर लड़े : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सियोल: दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज दूसरा दिन है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने अपने सरकारी आवास ब्लू हाउस में मोदी का औपचारिक स्वागत किया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने युद्ध में मारे गए एक लाख 65 हजार कोरियाई सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। मोदी ने कहा कि अब आतंकवाद पर बात करने का वक्त नहीं है। दुनिया के इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए उन्होंने पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने और आतंकवाद के खिलाफ साथ देने के लिए राष्ट्रपति मून का शुक्रिया जताया। कहा कि भारत से दक्षिण कोरिया की दोस्ती बढ़ने में डिफेंस सेक्टर का अहम रोल है। कोरियाई के-9 तोप भारतीय आर्मी में शामिल हो चुकी है।

गुरुवार को सियोल में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, ”हमारा लक्ष्य अगले 15 साल में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल होना है। हमें दुनिया में महात्मा गांधी की विरासत का प्रसार करना चाहिए। शुक्रवार को मुझे शांति पुरस्कार दिया जाएगा। यह मेरा नहीं है, बल्कि मैं 130 करोड़ भारतीयों और विदेश में रहने वाले 3 करोड़ भारतीयों की ओर से इसे लेने आया हूं। यह पुरस्कार भारतीयों के परिश्रम की निशानी है।” मोदी सियोल शांति पुरस्कार पाने वाले 14वें व्यक्ति हैं। यह पुरस्कार 1988 में सियोल ओलिंपिक के सफल आयोजन के बाद शुरू किया गया था। इससे पहले मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। वे राष्ट्रपति मून जे-इन से स्पेशल स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को मजबूत करने पर बातचीत करेंगे।

मोदी ने कहा- ”महात्मा गांधी कहा करते थे कि परमात्मा ने मनुष्य की जरूरत (नीड) के लिए सबकुछ दिया है, लेकिन मनुष्य की ग्रीड के लिए यह सारी चीजें कम पड़ जाएंगी। इसलिए मनुष्य को नीड के हिसाब से जीवन बिताना चाहिए, न कि ग्रीड से हिसाब से। गांधीजी के समय में कोई ग्लोबल वॉर्मिंग पर चर्चा नहीं होती थी। उन्होंने कोई कार्बन फुटप्रिंट्स नहीं छोड़े। उन्होंने हमेशा आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधन छोड़ने की बात कही। वे कहते थे कि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हम अपने बच्चों का हिस्सा खा लेंगे, उनका अधिकार ले लेंगे। मानवजाति आज आतंकवाद के संकट से जूझ रही है। गांधीजी का संदेश अंहिसा के माध्यम से, हृदय परिवर्तन के माध्यम से हिंसा के रास्ते पर गए लोगों को लौटाने का, मानवीय शक्तियों के एकत्र होने का संदेश आज भी लोगों को देता है।”

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