नई दिल्ली: इंडिया गेट के पास आज पीएम मोदी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. स्मारक में अलग-अलग युद्धों में शहीद हुए देश के कुल 25 हजार 942 सपूतों के नाम दर्ज हैं. पीएम मोदी ने सेना और पूर्व सैनिकों की मौजूदगी में इस स्मारक को देश के नाम किया. यह स्मारक आजादी के बाद से देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है. इस दौरान 3 अमआई 17 हेलीकॉप्टरों ने स्मारक पर फूल बरसाए. इसके बाद पीएम ने शहीदों को सलामी दी.
Delhi: PM Narendra Modi,Defence Minister Nirmala Sitharaman and the three Service Chiefs lays wreath at #NationalWarMemorial pic.twitter.com/ESozrT5qdd
— ANI (@ANI) February 25, 2019
छह भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है। इस पर भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल, शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्ति बनाई गई है। स्मारक चार चक्रों पर केंद्रित है- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। शहीदों के नाम दीवार की ईंटों में उकेरे गए हैं। स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति जैसा है।
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पहली बार 1960 में वॉर मेमोरियल तैयार करने का प्रस्ताव सशस्त्र बलों ने दिया था। सरकारों की उदासीनता, ब्यूरोक्रेट्स और सेना के बीच गतिरोध से इसका निर्माण नहीं हो सका। मोदी सरकार ने अक्टूबर 2015 में स्मारक के निर्माण को मंजूरी दी थी। हालांकि, पहले अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों की याद में 1931 में इंडिया गेट बनवाया था। 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3843 सैनिकों के सम्मान में यहां अमर जवान ज्योति बनाई गई थी।
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मोदी ने कहा, “आज हमारी सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। हमारे सैनिकों ने पहला वार अपने ऊपर लिया और चुनौतियों को जवाब दिया। जब लता दीदी ने ऐ मेरे वतन के लोगों को स्वर दिए थे तो देश के करोड़ों लोगों की आंखें नम हो गई थीं। मैं पुलवामा के शहीदों को नमन करता हूं। नया हिंदुस्तान, नई नीति और रीति के साथ आगे बढ़ रहा है। इसमें एक बड़ा योगदान सैनिकों के शौर्य, अनुशासन और समर्पण है।”
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’59 साल से मेमोरियल की मांग की जा रही थी’
प्रधानमंत्री ने कहा, ”आजादी के बाद बीते 59 साल से इस मेमोरियल की मांग की जा रही थी। सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन लागू हो चुका है। सरकार 35 हजार करोड़ रुपए वितरित कर चुकी है। सोचिए एक वो भी सरकार थी, जो कहती थी कि सिर्फ 500 करोड़ रुपए में ओआरओपी लागू हो जाएगा। मौजूदा सैनिकों की सैलरी में भी बढ़ोतरी हुई है। पूर्व सैनिकों को पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें, इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया जा रहा है। जो सैनिक ड्यूटी के दौरान आपदा में जान गंवाते हैं, उनका परिवार भी पेंशन का हकदार होगा।”
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‘बोफोर्स और अन्य घोटालों का संबंध एक परिवार से क्यों?’
- कांग्रेस का नाम लिए बगैर मोदी ने कहा, ”हमारी सरकार आने से पहले क्या हो रहा था, इसे दोहराना चाहता हूं। खुद को भारत का भाग्य विधाता समझने वालों ने सैनिकों और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने में कसर नहीं छोड़ी थी। 2009 में सेना ने बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी। लेकिन 2014 तक पांच साल में इन्हें नहीं खरीदा गया। हमने 2 लाख 30 हजार से ज्यादा जैकेट खरीदे। हमारे जवानों को सुरक्षा कवच से वंचित रखने का पाप किसने किया?”
- ”उन लोगों ने सेना और सुरक्षा को कमाई का साधन बना लिया था। शायद शहीदों को याद करने से उन्हें कुछ नहीं मिलने वाला था, इसलिए भुलाना ही बेहतर समझा। बोफोर्स और अन्य घोटालों का संबंध एक परिवार से होना बहुत कुछ कहता है। जब राफेल उड़ान भरेगा तो उन्हें जवाब मिलेगा। राष्ट्रहित को नजरअंदाज करते हुए जो फैसले दशकों से रुके थे, वे हम पूरे कर रहे हैं।”
मोदी नहीं, देश की सभ्यता और परंपरा अहम
- मोदी ने कहा, ”सरकार सेना को अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराने के लिए 70 हजार असॉल्ट रायफल खरीद रही है। कुछ लोगों के लिए सिर्फ अपना ही परिवार सर्वोपरि है। ढाई दशक के बाद अटलजी की सरकार में मेमोरियल की फाइल कुछ चली थी, लेकिन बाद में स्थिति जस की तस हो गई।”
- “देश सवाल पूछ रहा है कि देश के सैनिकों और महानायकों के साथ अन्याय क्यों किया गया? इंडिया फर्स्ट या फैमिली फर्स्ट यही इसका जवाब है। स्कूल से लेकर हाईवे तक एक परिवार का नाम जुड़ा रहता था। इन्होंने भारत की परंपरा को कभी महत्व नहीं दिया।”
- “आज सरदार पटेल हो या नेताजी हों, इन्हें राष्ट्र की पहचान और न्यू इंडिया से जोड़ा गया है। मेरा मानना है कि मोदी महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि देश की सभ्यता और परंपरा है। देश की सभ्यता अजर-अमर रहनी चाहिए।”
- ”राष्ट्र के मान और सम्मान के लिए आपका प्रधान सेवक राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ही फैसले लेगा। देश की सुरक्षा, प्रगति और विकास मेरे लिए इतने पवित्र है कि इनके रास्ते में आए हर रोड़े से लड़ने के लिए तैयार हूं। तिरंगे के लिए जीने और तिरंगा ओढ़कर बलिदान देने वालों को नमन करता हूं।”