दिल्ली : नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राजधानी दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने हेराल्ड प्रकाशक एसोसिएटॆड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल की याचिका को निपटाते हुए कहा कि ”हमने याचिका खारिज कर दी है।” एजेएल ने अपनी याचिका में आईटीओ परिसर खाली करने संबंधी केंद्र के निर्णय को चुनौती दी थी। अदालत ने एजेएल के वकील के इस मौखिक अनुरोध को भी खारिज कर दिया कि उन्हें परिसर खाली करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 30 अक्टूबर 2018 को हेराल्ड हाउस खाली करने के लिए 15 नवंबर 2018 तक का समय दिया था। एजेएल ने केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष याचिका दायर किया था। 21 दिसंबर 2018 एकल पीठ ने हेराल्ड हाउस परिसर दो हफ्ते के अंदर खाली करने का को आदेश दिया था। इसके बाद एजेएल ने एकल पीठ के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच में इस साल जनवरी में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि यंग इंडियन कंपनी की स्थापना हेराल्ड हाउस पर कब्जे की नीयत के की गई थी। एजेएल के 99 फीसदी शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर किये गए। इससे करीब 413 करोड़ की संपत्ति का फायदा यंग इंडियन को मिल गया था।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एजेएल 2008 में बंद कर चुका था और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। कंपनी ने लीज की शर्तों का उल्लंघन कर हेराल्ड को किराये पर दिया था। उनका यह भी तर्क था कि यह संपत्ति समाचार पत्र प्रकाशन व प्रिंटिंग के लिए एजेएल को दी गई थी लेकिन यह ‘प्रमुख उद्देश्य’ सालों पहले ही खत्म हो चुका था।हेराल्ड हाउस से एजेएल केवल किराया वसूली का काम करती थी जबकि ये अखबार छापने के लिए लीज पर दी गई थी। हेराल्ड हाउस से करोड़ों रुपये के किराये की वसूली होती है।
इसके अलावा नेशनल हेराल्ड से संबंधित एक और मामला पटियाला हाउस कोर्ट में भी चल रहा है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी आरोपी हैं।