बीजिंग: चीन ने वर्तमान दलाई लामा के भारतीय उत्तराधिकारी को मान्यता नहीं देने का संकेत दिया है। उसने कहा है कि कम्युनिस्ट सरकार की सहमति के बिना तिब्बती बौद्धों के अगले धार्मिक नेता का चुनाव नहीं हो सकता है। चीन का यह जवाब वर्तमान दलाई लामा के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है।
तिब्बत से निर्वासित होकर 1959 से भारत में रह रहे लामा तिब्बतियों के 14 वें दलाई लामा हैं। सोमवार को उन्होंने कहा था कि उनसे ज्यादा बीजिंग को अगले दलाई लामा की चिंता है। एक साक्षात्कार के दौरान नोबेल विजेता लामा ने कहा, ‘भविष्य मेंआपको दो दलाई लामा दिख सकते हैं। एक हमारे द्वारा चुना जाएगा और दूसरा चीन के द्वारा। हालांकि, चीन द्वारा चुने गए दलाई लामा को वो प्रतिष्ठा कभी नहीं मिल पाएगी।
इसी के जवाब में चीन के विदेश मंत्री गेंग शुआंग ने कहा, ‘तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की अवधारणा महत्वपूर्ण है। इसी के आधार पर उनका धार्मिक नेता चुना जाता है। चीन सरकार धार्मिक विश्वास की आजादी की नीति पर चलती है। हमारे यहां तिब्बती बौद्धों के पुनर्जन्म की अवधारणा को लेकर भी नीतिगत प्रावधान है।’ बता दें कि तिब्बती लोगों के धार्मिक नेता को दलाई लामा की उपाधि दी जाती है। 1935 में पैदा हुए वर्तमान दलाई लामा जब दो साल के थे तभी उन्हें तिब्बत के धार्मिक नेता का अवतार मान लिया गया था।