नई दिल्ली : भारत ने स्पेस में अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए ‘मिशन शक्ति’ के जरिए बुधवार को अंतरिक्ष में एक लाइव सैटलाइट को मार गिराया। इस सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन 4 देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष में सैटलाइट को मार गिराने की क्षमता रखते हैं। भारत ने यह परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब चीन लगातार अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ा रहा है।
An important message to the nation. Watch. https://t.co/0LEOATgOOQ
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2019
सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ए-सैट का परीक्षण किया। ए-सैट ने 300 किमी की ऊंचाई पर एक पुराने सैटलाइट को निशाना बनाया जो अब सेवा से हटा दिया गया है। यह पूरा अभियान मात्र 3 मिनट में पूरा हो गया। इस सैटलाइट किलर मिसाइल के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी घोषणा खुद पीएम मोदी ने की। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘कुछ ही समय पहले भारत ने एक अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त की है। भारत ने दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर नाम दर्ज करा दिया है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन को ही यह उपलब्धि थी। अब भारत इस क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश है।’
Target destroyed by India’s A-SAT missile was an out of service Indian satellite
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— ANI Digital (@ani_digital) March 27, 2019
मोदी ने दिखाई राजनीतिक इच्छाशक्ति
पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया, ‘कुछ ही समय पहले हमारे वैज्ञानिकों ने 300 किलोमीटर दूर ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में एक सैटेलाइट को मार गिराया। यह ऑपरेशन महज तीन मिनट में ही पूरा किया गया। मिशन शक्ति नाम का यह ऑपरेशन बेहद कठिन था, जिसमें बहुत उच्च कोटि की तकनीकी क्षमता की जरूरत थी। वैज्ञानिकों ने सभी निर्धारित लक्ष्य और उद्देश हासिल किए। यह गर्व की बात है।’ हालांकि अब भारत को विदेशी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि पीएम मोदी ने स्पष्ट किया है कि यह केवल भारत रक्षा करने के लिए है।
Dr VK Saraswat on #MissionShakti: When proposal was put up by Dr Satheesh Reddy & NSA Ajit Doval to PM Modi, he had the courage & based on that he gave a go ahead. If the clearances were given in 2012-13, I’m quite certain that the launch would have happened in 2014-15. https://t.co/Amnf62Qa0r
— ANI (@ANI) March 27, 2019
रक्षा सूत्रों के मुताबिक भारत ने यह क्षमता वर्ष 2012 में ही हासिल कर ली थी जब अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण किया गया था लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की वजह से इसके परीक्षण की अनुमति नहीं दी गई थी। वर्ष 2007 में चीन के एक सैटलाइट के मार गिराने के बाद भारत पर यह दबाव बढ़ गया था कि वह इस क्षमता को हासिल करे। भारत ने ‘मिशन शक्ति’ कोडनेम के जरिए इस मिसाइल का बालासोर में सफल परीक्षण किया। भारत यह पूरी क्षमता अपने दम पर हासिल की है।
#WATCH Simulation of the #ASAT BMD interceptor missile (video courtesy: Defence sources) #MissionShakti pic.twitter.com/U5Bot6tFx3
— ANI (@ANI) March 27, 2019
चीन को टक्कर देगा यह मिसाइल
वर्ष 2007 में अंतरिक्ष में एक सैटलाइट को मार गिराने के बाद चीन ने अब इतनी क्षमता हासिल कर ली है कि वह अंतरिक्ष में किसी भी मिसाइल को मार गिरा सकता है। यही नहीं चीन ने अब सैटलाइट को अंधा करने की भी क्षमता हासिल कर ली है। इससे चीन के क्षेत्रों में अब विदेशी सैटलाइट निगरानी नहीं कर पाएंगे। युद्ध के समय चीन को इससे बढ़त मिल जाएगी। इसी खतरे को देखते हुए भारत ने इस मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया है।
अग्नि मिसाइल और एएडी का मिश्रण है एसैट
रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक ऐंटि सैटलाइट ए-सैट मिसाइल सिस्टम अग्नि मिसाइल और अडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) सिस्टम का मिश्रण है। भारत ने वर्ष 2012 के आसपास ही इन दोनों को मिलाकर अपना ऐंटि सैटलाइट ए-सैट मिसाइल सिस्टम बना लिया था लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से इसका परीक्षण नहीं कर रहा था। हालांकि मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई और परीक्षण को अपनी अनुमति दी।
वर्ष 2012 में डीआरडीओ के तत्कालीन चीफ वीके सारस्वत ने स्वीकार किया था कि अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत के पास सैटलाइट को मार गिराने की क्षमता है। उन्होंने कहा था, ‘ऐंटी सैटलाइट सिस्टम को अच्छे बूस्ट की जरूरत होती है। यह करीब 800 किमी है। अगर आप 800 किमी तक पहुंच सकते हैं और आपके पास निर्देशन प्रणाली है तो अंतरिक्ष में सैटलाइट को मार गिराया जा सकता है। अग्नि-5 में यह क्षमता मौजूद है।’ उन्होंने कहा था कि भारत ने ऐंटी मिसाइल टेस्ट करके अपनी निर्देशन प्रणाली का टेस्ट पहले ही कर लिया है। सारस्वत ने माना था कि भारत सरकार ने ऐंटी सैटलाइट सिस्टम बनाने को अपनी अनुमति नहीं दी।
भारत ने किसी संधि का उल्लंघन नहीं किया
अंतरिक्ष विज्ञानी अजय लेले के मुताबिक यह सैटलाइट संभवत भारत का ही रहा होगा। बेकार हो गया होगा, उसे पहचाना गया और फिर सफलता से गिराया गया। अंतरिक्ष के लिए आउटर स्पेस ट्रिटी है। इसके तहत आप अंतरिक्ष में हथियारों का परीक्षण नहीं कर सकते हैं। भारत ने किसी संधि का उल्लंघन नहीं किया। 2007 में चीन ने भी ऐसा किया था। स्पेस में इससे काफी कचरा फैला था। भारत का परीक्षण कम ऊंचाई पर हुआ है, इसलिए अनुमान है कि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह नीचे गिरकर नष्ट हो जाएगा।
अंतरिक्ष में सैटेलाइट वॉर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. 1985 से 2002 के बीच अमेरिका ने एक स्पेस कमांड बनाया जिसे बाद में स्ट्रेटजिक कमांड में मिला दिया गया. रूस भी 1992 में रशियन स्पेस फोर्स का गठन कर चुका है. इसे 2015 में रूसी एयरस्पेस फोर्सेज का हिस्सा बना लिया गया है. चीन ने साल 2007 में ही एंटी सैटेलाइट का परीक्षण किया था, जिसने लोवर आर्बिट में 865 किमी की ऊंचाई पर एक सैटेलाइट को बर्बाद कर दिया था. इस तरह भारत का एक प्रमुख पड़ोसी देश चीन भी सैटेलाइट वॉर के लिए अपने को तैयार कर चुका है.