इंदौर : लोकसभा स्पीकर और 8 बार की सांसद सुमित्रा महाजन ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने शुक्रवार को एक पत्र जारी कर कहा, भाजपा में उनके टिकट को लेकर असमंजस है और निर्णय लेने में दिक्कत हो रही है। इसलिए अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। पार्टी को अब इंदौर सीट पर जल्द नाम तय करना चाहिए।
भाजपा मप्र की 29 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इंदौर सीट पर अब भी असमंजस बना हुआ है। एक के बाद एक नए नाम चर्चा में आने और अब तक नाम तय नहीं होने पर सुमित्रा महाजन ने यह पत्र लिखा।
महाजन लिखा कि भाजपा ने आज तक इंदौर में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, यह अनिर्णय की स्थिति क्यों? संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है। हालांकि, मैंने पार्टी के वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा की थी और निर्णय उन पर छोड़ दिया था। लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है। इसलिए मैं घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है। अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करे, निःसंकोच होकर करे।
Lok Sabha Speaker Sumitra Mahajan’s letter announcing that she doesn’t want to contest the 2019 elections. She also asks why a candidate has not been declared yet from Indore, appeals to BJP to name a candidate pic.twitter.com/zruHJVCBXF
— ANI (@ANI) April 5, 2019
16 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ चार बार मिली जीत
इंदौर में 30 साल से भाजपा जीत रही है। अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस सिर्फ चार बार जीत सकी है। इंदौर लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बराबरी का था। भाजपा और कांग्रेस ने 4-4 सीटें जीती थीं।
कौन हैं दावेदार?
सुमित्रा के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद टिकट पाने के दो दावेदार कैलाश विजयवर्गीय और मालिनी गौड़ हैं। पूर्व मंत्री विजयवर्गीय अभी भाजपा के बंगाल प्रभारी हैं। वे अभी इंदौर के लालच में बंगाल से अपना फोकस नहीं हटाना चाहते। इसकी बजाय वे दिग्विजय के खिलाफ भोपाल से चुनाव लड़कर पार्टी में अपना कद शिवराज से ऊंचा करना चाहते हैं। विजयवर्गीय इंदौर से उतरे तो सुमित्रा और उनके समर्थकों को ऐतराज हो सकता है। वहीं, 4 साल से महापौर और तीन बार से विधायक मालिनी गौड़ को अगर ताई की जगह टिकट मिलता है तो भाजपा की जीत आसान हो सकती है। शहर की तस्वीर बदलने में मजबूत भूमिका होने की मालिनी की छवि को पार्टी भुना सकती है।
उमा-सुषमा ने भी चुनाव लड़ने से इनकार किया
इससे पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उमा भारती के ऐलान के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। वहीं, सुषमा ने स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव न लड़ने का फैसला किया है।