भोपाल : छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हुए हवलदार हरीश चंद्र पाल ने दो दिन पहले आखिरी बार छोटे भाई चंद्र पाल से मोबाइल पर बातचीत में कहा था कि मां के इलाज में पैसों की कोई कमी नहीं आनी चाहिए। मैं तुमको भेजता रहूंगा। दोनों भाई मां की आर्थिक मदद करते थे, जबकि सबसे बड़े भाई मां के साथ रहकर उनकी देखभाल करते हैं। मां को पिछले साल लकवा मार गया था। हरीश चंद्र का शव शनिवार की सुबह अमरकंटक एक्सप्रेस से भोपाल लाया जाएगा।
सीआरपीएफ में हवलदार 45 हरीश चंद्र पाल की पत्नी लक्ष्मी पाल और 12 साल की बेटी शलेषा पाल योजना नगर, अवधपुरी में रहती हैं। बेटी जवाहरलाल नेहरू स्कूल में सातवीं की छात्रा है, जबकि पत्नी बीएचईएल महिला कल्याण समिति में सर्विस करती हैं। हरीश चंद्र एक हफ्ते पहले ही एक महीने की छुट्टी पूरी करके भोपाल से छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। वे शाम को पत्नी और बेटी से बात करते थे।
शुक्रवार की सुबह करीब 11.30 बजे अवधपुरी पुलिस ने हरीश चंद्र के परिजनों को उनके नक्सली हमले में शहीद होने की सूचना दी। इस बीच पत्नी आफिस और बेटी स्कूल गई हुई थी। दोपहर को ही सीआरपीएफ के डीआईजी विजय कुमार उनके घर पहुंचे और परिजनों से चर्चा की। उन्होंने परिजनों को बताया कि हरीश का शव शनिवार को अमरकंटक एक्सप्रेस से भोपाल लाया जाएगा।
घर के पास ही है ससुराल…
हरीश चंद्र के घर के सामने ही उनकी ससुराल है। मायका पास होने के कारण पत्नी और बेटी वहां चले जाते हैं। उनकी देखभाल साले करते हैं। जब हरीश चंद्र के शहीद होने की जानकारी पुलिस ने उनके सालों को ही दी थी। इसके बाद छोटे भाई नेहरू नगर नगर निवासी श्री चंद्र पाल को दी गई। श्री चंद्र पाल ने बताया कि भाभी को यह कहकर ऑफिस से बुला लिया था कि भैया की तबीयत अचानक बिगड़ गई है, उन्हें भोपाल लेकर आ रहे हैं। घर पर जब देवर श्री चंद्र को उन्होंने देखा तो कुछ संदेह हुआ।
पत्नी बोली हरीश से बात कराओ…
घर पहुंचे पर पत्नी लक्ष्मी ने बोला कि मुझे उनसे बात करनी है, उनका मोबाइल लगाओ। इस बात पर उनके भाई ने कहा कि हरीश का मोबाइल बंद है, बात नहीं हो सकती। उसे जल्द ही भोपाल लेकर आ रहे हैं। उन्होंने गुरुवार की शाम को भी पत्नी और बेटी से साधारण बातचीत की थी। बेटी से पूछा था कि वह स्कूल जा रही या नहीं। पढ़ाई मन लगाकर करना। हरीश रोजाना साम को पत्नी, बेटी और भाई से मोबाइल पर बात करते थे।
24 फरवरी को थी मैरिज एनीवर्सरी…
हरीश 22 फरवरी को एक महीने के अवकाश पर भोपाल आए थे। उन्होंने 24 फरवरी को अपनी मैरिज एनीवर्सरी यहीं मनाई थी। उन्होंने 2000 में लक्ष्मी से लव मैरिज की थी। इसके बाद पत्नी, बेटी और सास को लेकर वे बाधा वार्डर, वैष्णो देवी, अमृतसर आदि स्थानों पर घूमकर आए थे। होली खेलना उनकोे बहुत पसंद था। इसी कारण उन्होंने कालोनी में होली पर जमकर धमाल मचाया था।