भोपाल : मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों पर आयकर छापे की कार्रवाई के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार जवाबी हमले की तैयारी में है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में हो चुके घोटालों में अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचने वाली फाइलों की जांच आगे बढ़ चुकी है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ई-टेंडर घोटाले, फर्जी वेबसाइट, माखनलाल यूनिवर्सिटी (एमसीयू) और सांसद निधि खर्च में आर्थिक गड़बड़ियों और सांसद विकास निधि के खर्च में मनमानी के मामलों में एफआईआर दर्ज की जाएगी।
वो मामले, जिनमें पूर्ववर्ती सरकार सवालों में घिर सकती है
ई-टेंडर घोटाला
सबसे बड़े ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी है। तत्कालीन प्रमुख सचिव मैप-आईटी मनीष रस्तोगी ने ई-टेंडर घोटाला पकड़ा था। जल निगम के तीन हजार करोड़ के तीन टेंडर में पसंदीदा कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग की गई थी। ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टींम (सीईआरटी) को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी, जिसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है। इसकी जांच तीन हजार करोड़ से बढ़कर 80 हजार करोड़ के टेंडर तक चली गई है। बीते साल जून में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की थी। दो महीने पहले रिपोर्ट आने के बाद एक या दो दिन में ईओडब्ल्यू एफआईआर दर्ज कर देगी। मामले में आईएएस राधेश्याम जुलानिया और हरिरंजन राव पर सवाल उठ चुके हैं।
वेबसाइट घोटाला
पिछली सरकार में फर्जी वेबसाइट्स को करोड़ों के विज्ञापन दिए जाने का मामला उठा था। विधायक बाला बच्चन (अभी गृह मंत्री) ने विधानसभा में सवाल उठाए थे। माध्यम से सॉफ्टवेयर के जरिए वेबसाइट की हिट्स बढ़ाई जाती थी। इस पर जिला कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होना है। इसकी ईओडब्ल्यू में भी जांच चल रही है, जिस पर केस दर्ज हो सकता है।
माखनलाल यूनिवर्सिटी
एमसीयू में भाजपा सरकार के दौरान संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं को अहम पदों पर बैठाया गया। कई नियुक्तियां विवादों में रहीं। पूर्व कुलपति वीके कुठियाला के कार्यकाल में आर्थिक गड़बड़ी की शिकायतें हुईं। इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई है, जिसने गड़बड़ी पाई है। एफआईआर होना तय है।
सांसद निधि
प्रदेश में सांसद निधि के मनमाने तरीके से खर्च की शिकायत लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में की गई है। कुछ भाजपा सांसदों ने सांसद निधि को नियमों के परे जाकर खर्च करवाया है। ईओडब्ल्यू की जांच में एफआईआर दर्ज करने सबूत हैं।