जबलपुर: जबलपुर की गन कैरेज फैक्टरी (जीसीएफ) में निर्मित छह धनुष गन सेना के सुपुर्द कर दी गईं। जीसीएफ में केन्द्र सरकार के रक्षा सचिव उत्पादन डॉ अजय कुमार के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीके श्रीवास्तव को धनुष आर्टिलरी गन की पहली खेप खौंपी गयी। कार्यक्रम में आयुध निर्माणी बोर्ड के अध्यक्ष तथा महानिदेशक सौरभ कुमार, आर्टिलरी स्कूल के कमांडेट लेफ्टिनेंट जनरल आरएस सलारिया, मेजर जनरल मनमीत सिंह और बोर्ड के सदस्य हरिमोहन विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम के बाद नव निर्मित धनुष आर्टिलरी गन को हरी झंडी दिखाकर फैक्टरी से रवाना किया गया।
रक्षा सचिव डॉ कुमार व बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि धनुष 155 एमएम 45 कैलीबर की आधुनिक आर्टिलरी गन में एक है। इस आर्टिलरी गन में 81 प्रतिशत पार्ट स्वदेशी है और लक्ष्य 91 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स का है। उन्होंने बताया कि इस गन की मारक क्षमता 38 किलोमीटर तक है। यह 13 सेकंड में तीन फायर कर सकती है। फायर करने के बाद गन अपनी पोजिशन चेंज कर करती है। उन्होंने बताया कि आर्टिलरी गन का वजन 13 टन है। उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि यह बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन है। बोफोर्स तथा धनुष के कुछ फंक्शन सामान्य हैं। यह रात के समय भी लक्ष्य पर निशाना साध सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने कुल 414 गन की मांग की है।
Here are the key features of the indigenously designed and developed Dhanush artillery gun, which got inducted in the Indian Army on Monday. pic.twitter.com/f038Rdf62J
— Doordarshan News (@DDNewsLive) April 9, 2019
जानकारी के मुताबिक, 1990 में बोफोर्स के बाद अब जाकर कोई बड़ी गन सेना को सौंपी जा रही है। देश में विकसित सबसे बड़ी आर्टिलरी गन धनुष में कई खूबियां हैं। 2012 में इस पर काम शुरू हुआ था। इसमें अपग्रेडेड कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाया गया है। ये तोप सेटेलाइट के जरिए न केवल दुश्मन के ठिकानों की पोजीशन हासिल कर सकती है, बल्कि खुद गोले लोड कर फायर करने में भी सक्षम है।
Proud Moment in India’s Defence Production & #MakeInIndiaInDefence
Indigenous Dhanush handed over to Indian Army. Equipped with inertial navigation-based sighting system, the Artillery Gun is a major milestone in India’s defence self reliance@drajaykumar_ias @adgpi@PIB_India pic.twitter.com/IYaFtykByj
— Defence Production India (@DefProdnIndia) April 9, 2019
114 तोप का नया ऑर्डर: जीसीएफ को नए वित्तीय वर्ष के लिए 114 तोप का बल्क प्रोडक्शन ऑर्डर हाल ही में हासिल हुआ। इसके बाद से उत्पादन की रफ्तार भी बढ़ा दी गई। 38 किलोमीटर दूरी तक निशाना साधने वाली इस एकमात्र तोप की तैनाती पाकिस्तान और चीन से लगी सरहद पर की जाएगी।
4599 राउण्ड फायर: धनुष की शुरुआत के साथ जुलाई 2016 से जून 2018 तक धनुष के कई ट्रायल किए गए। इसके अलावा नवंबर 2012 से अब तक कुल 4599 राउंड फायर किए जा चुके हैं। सेना ने इसे निम्न एवं उच्च तापमान में परखा है। देश में पांच जगहों पर हुए परीक्षण में फायरिंग के परिणाम सकारात्मक आए हैं।
यह है खासियत-
- 3 फायर प्रति मिनट में डेढ़ घंटे तक लगातार दागने में सक्षम।
- 155 एमएम बैरल से 38 किमी दूरी तक निशाना साधने में सक्षम।
- 12 फायर प्रति मिनट करने की क्षमता भी हासिल।
- 46.5 किलोग्राम का गोला किया जा सकता है फायर।