नई दिल्ली : राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले पर दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. राफेल मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक याचिकाकर्ता के दिए दस्तावेज अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के हिस्सा होंगे.
Supreme Court allows admissibility of three documents in Rafale deal as evidence in re-examining the review petitions filed against the SC’s December 14 judgement refusing to order probe in procuring 36 Rafale fighter jets from France. https://t.co/zqqdrTx8YS
— ANI (@ANI) April 10, 2019
राफेल डील पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक मंचों से पीएम मोदी पर राफेल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं. ऐसे में राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दोबारा सुनवाई के फैसले से एक तरफ जहां बीजेपी को झटका लगा है, वहीं कांग्रेस के लिए राहत की खबर है. राफेल माले पर सुप्रीम कोर्ट के दोबारा सुनवाई के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है. इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं से 15 मार्च को हुई सुनावाई में कहा था कि वो राफेल डील के दस्तावेज लीक होने से जुड़ी प्राथमिक आपत्तियों पर फोकस करें.
This is a victory for India! We welcome the Supreme Court’s judgement to review the Rafale petition. Satyamev Jayate! 🇮🇳#RafaleDeal #ChowkidarChorHai https://t.co/DQMLcdYrr5
— Congress (@INCIndia) April 10, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने कहा था कि सरकार द्वारा उठाई गई प्राथमिक आपत्तियों पर निर्णय लेने के बाद ही इस मामले में फैक्ट की जांच की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था. इन दस्तावेजों को मान्यता देने पर केंद्र सरकार की ओर से आपत्ति जाहिर की गई थी. 14 दिसंबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
पीठ ने कहा था, ‘केंद्र की ओर से जताई गई प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे. अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे.’
केंद्र सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों को विशेषाधिकार प्राप्त बताया था और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार इन दस्तावेजों को सबूत नहीं माना जा सकता.
केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण मिला है. सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 (1)(ए) के अनुसार भी जानकारी सार्वजनिक करने से छूट मिली हुई है. प्रशांत भूषण ने सु्प्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं.