भोपाल : भाजपा की शिवराज सरकार के दौरान हुए ई-टेंडर घोटाले में कमलनाथ सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 8 कंपनियों पर एफआईआर दर्ज कराई है। बुधवार को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने 8 कंपनियों सहित इनके संचालकों और अज्ञात नेताओं, अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
जानकारी के मुताबिक, जिन पर एफआईआर हुई है, उनमें जल निगम, पीडब्ल्यूडी, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम, जल संसाधन विभाग के अफसरों के साथ ही 8 कंपनियों के निदेशक भी शामिल बताए जा रहे हैं। आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 120 बी, आईटी एक्ट की धारा-66 के अलावा कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक केएल तिवारी ने बताया कि जनवरी 2018 से मार्च 2018 के बीच ये सभी टेंडर निकाले गए थे। इन सभी में करीब 3000 करोड़ रुपए की राशि जुड़ी थी। एफआईआर के बाद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की जाएगी।
दरअसल, कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड, सलाहकार आरके मिगलानी, कक्कड़ के करीबी अश्विन शर्मा के ठिकानों पर आयकर टीम ने छापे मारे थे। इसके बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य सरकार ई-टेंडरिंग घोटाला, विज्ञापन घोटाला और अन्य मामलों में कार्रवाई कर सकती है।
कंपनियों को दिए 3000 करोड़ रु. के टेंडर
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी। इसमें जल निगम के तीन हजार करोड़ रुपए के तीन टेंडर में पसंदीदा कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग करने का आरोप था। ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी। इसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है।
9 ई-टेंडर साफ्टवेयर के साथ की गई छेड़छाड़
ईओडब्ल्यू के महानिदेशक केएल तिवारी ने बताया कि लगभग 3 हजार करोड़ के ई टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक। कुल 9 निविदाओं के साफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई।
इन आठ कंपनियों के संचालकों पर एफआईआर
इससे हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियों- जीवीपीआर लिमिटेड, मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनियां- ह्यूम पाइप लिमिटेड, जेएमसी लिमिटेड, बढ़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी- सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, माधव इन्फ्रो प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी राजकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालकों, भोपाल स्थित साफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक शामिल हैं। एमपीएसईडीसी, मप्र के संबंधित विभागों के अधिकारी एपवं कर्मचारियों के साथ ही एंट्रेस प्राइवेट लिमिटेड बंगलुरू और टीसीएस के अधकिारी एवं कर्मचारी शामिल हैं।
प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने अपनी रिपोर्ट में बिंदुवार बताया था किस तरह हुई ई टेंडरिंग के पोर्टल में हैकिंग –
- ई टेंडरिंग की साइट पर एक अनाधिकृत विजिटर छेड़छाड़ के लिए आया।
- ट्रेनिंग के लिए बनाए गए डेमो डिपार्ट को उसने अपना निशाना बनाया।
- उसने रजिस्टर्ड यूजर के यूजरनेम, पासवर्ड और डीएससी हासिल किया और एक गलत टेंडर डाला।
- लाइव टेंडर की तरह डेटाएरो बनाने में कामयाब रहा।
- दूसराें की टेंडर वैल्यू देखी अपने टेंडर की वैल्यू कम कर दी।
- फिर सारे टेंडर लाइव कर दिए।
- विभाग के वीपीएन पासवर्ड, सर्वर पासवर्ड हासिल किए।
जिन विभागाें के टेंडर में टेंपरिंग वहां ये अफसर-मंत्री थे पदस्थ
- जल निगम(पीएचई),(तीन टेंडर)
- प्रमुख सचिव-प्रमोद अग्रवाल
- मंत्री- कुसुम महदेले
- पीडब्ल्यूडी और पीआईयू(तीन टेंडर)
- प्रमुख सचिव-मोहम्मद सुलेमान
- मंत्री-रामपाल सिंह
- जल संसाधन विभाग(दो टेंडर)
- प्रमुख सचिव-राधेश्याम जुलानिया
- मंत्री-नरोत्तम मिश्रा
- आईटी सचिव रहे हरिरंजन राव
बड़े अफसरों की जिम्मेदारी तय :
ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम में टेंडर फायनल करने इंपावर्ड कमेटी होती है। इसके प्रमुख मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह थे। कमेटी में संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त के प्रमुख सचिव, मैप आईटी के प्रमुख सचिव रहते है। ये कमेटी एमपीआरडीसी में 10 करोड़ से उपर की लागत वाले तथा जल निगम में 5 करोड़ से उपर की लागत के प्रोजेक्ट वाले टेंडरों को मंजूरी देती रही है।
कांग्रेस ने कहा- अब मोदी शिवराज सरकार के नोट गिनने मप्र कब आ रहे हैं :
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार में हुए करोड़ों के ई-टेंडर घोटाले में एफआईआर दर्ज हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी इस घाेटाले के नोट गिनने मध्यप्रदेश कब आ रहे हैं। इन दोषियों के खिलाफ आयकर छापामार कार्रवाई कब करवाएंगे।