दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हर नागरिक को मतदान का अधिकार है. शर्त यह है कि उसकी उम्र 18 साल या इससे अधिक हो. देश के नागरिक को यह अधिकार भारत का संविधान देता है. प्रत्येक भारतीय नागरिक को हर पांच साल में अपने देश, प्रदेश के साथ ही नगर निकाय व पंचायत के प्रतिनिधियों को चुनने का हक है.
मतदान करना हर उस नागरिक का मौलिक कर्तव्य भी है जिसकी उम्र 18 साल या इससे अधिक है. आज अगर देश के किसी इलाके में 60% मतदान हो जाता है तो चुनाव आयोग इसे बड़ी उपलब्धि मानता है.
क्या वोटर आईडी कार्ड है जरूरी?
भारत का संविधान हर उस नागरिक को मतदान का अधिकार देता है जिसकी उम्र 18 वर्ष हो चुकी है. वोट डालने के लिए आपको अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाना होगा और वोटर आईडी कार्ड बनवाना होगा.
देश के हर व्यक्ति को एक चुनाव में एक बार वोट डालने का अधिकार मिलता है. जिस इलाके की मतदाता सूची में आपका नाम होगा, आप उसके निर्धारित बूथ पर ही वोट डाल सकते हैं.
भले ही आप 18 साल से अधिक उम्र के हों, मतदान के दौरान आपको रोका भी जा सकता है. जेल में बंद होने या सजा होने पर आप वोट नहीं डाल सकते. अगर किसी व्यक्ति के चुनाव क्षेत्र में आने से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका हो तो भी जिला प्रशासन ऐसे व्यक्ति को वोट डालने से रोक सकता है.
चुनाव आयोग हर चुनाव के पहले मतदान केंद्र की घोषणा करता है. मतदान केंद्र आपके आसपास की कोई सरकारी या निजी इमारत हो सकती है. आम तौर पर भारत में चुनाव आयोग स्कूलों में ही मतदान केंद्र बनाता है. मतदान केंद्र में दिव्यांग लोगों के पोलिंग बूथ तक पहुंचने की व्यवस्था भी होनी चाहिए. सेना, सुरक्षा बलों या चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कर्मचारियों को अपने मतदान केंद्र पर जाने की जरूरत नहीं होती. वे अपने कार्य स्थल से ही बैलेट पेपर पर वोट डाल सकते हैं.