अमृतसर : भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ ने भी श्रद्धांजलि दी। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी शहीदों को श्रद्धांजलि देने अमृतसर जाएंगे। 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड डायर ने जलियांवाला बाग में शांति सभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवाई थीं।
एस्क्विथ ने विजिटर्स बुक में लिखा, “जलियांवाला बाग में 100 साल पहले हुई घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास का शर्मनाक अध्याय है। जो हुआ, उसके लिए हमें खेद है। मैं यही कहना चाहता हूं कि 21वीं सदी में भारत और ब्रिटेन विकास के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करेंगे।”
Amritsar: British High Commissioner to India Sir Dominic Asquith lays wreath at #JalianwalaBagh memorial on commemoration of 100 years of the massacre. #Punjab pic.twitter.com/qDY0oKVJNA
— ANI (@ANI) April 13, 2019
जलियांवाला नरसंहार ब्रिटेन पर धब्बा: थेरेसा
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी जलियांवाला बाग नरसंहार पर खेद जताया था। थेरेसा ने बुधवार को संसद में कहा कि उन्हें इस घटना और इससे पैदा हुए कष्टों पर गहरा दुख है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने एक भी बार माफी नहीं मांगी। इस पर संसद में विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने थेरेसा से साफ, स्पष्ट और विस्तृत माफी मांगने के लिए कहा था।
2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी 2013 में भारत दौरे पर इसे इतिहास की बेहद शर्मनाक घटना बताया था। हालांकि, उन्होंने भी माफी नहीं मांगी थी।
Hundreds of people holding candles and the national flag marched through the northern Indian city of Amritsar on Friday, on the eve of the centenary of the colonial-era #JallianwalaBagh massacre that British PM Theresa May has called a “shameful scar.” https://t.co/B4dDY4yqRV
— Reuters India (@ReutersIndia) April 13, 2019
पंजाब विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर की थी माफी की मांग
इस साल फरवरी में इस नरसंहार की जिम्मेदार ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाने के लिए पंजाब सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव के जरिए केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह ब्रिटिश सरकार पर माफी मांगने का दबाव बनाए।
मारे गए थे एक हजार से ज्यादा लोग
अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सैनिकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चला दी थीं। रिकॉर्ड्स के मुताबिक, इस नरसंहार में 400 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। हालांकि भारतीय अधिकारियों का दावा है कि इसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। मरने वालों में औरतें और बच्चे भी शामिल थे।