अमृतसर के जलियांवाला बाग के नरसंहार कांड के आज यानी शनिवार को 100 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर वहां एक खास कार्यक्रम होने वाला है, जिसमें शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के राज्यपाल शहीदों को श्रदांजलि देंगे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अमृतसर पहुंच गए हैं. शनिवार सुबह 8 बजे राहुल शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे.
शुक्रवार देर रात अमृतसर पहुंचे राहुल गांधी ने श्री अकाल तख्त गोल्डन टैम्पल में माथा टेका. इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मौजूद रहे. शनिवार को जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर शहीदों की याद में सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया जाएगा.
Sharing a few moments from my visit at Sri Akal Takht Sahib along with @RahulGandhi. pic.twitter.com/QMoqLhyPsj
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) April 12, 2019
इससे पहले शुक्रवार शाम राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. कैंडल मार्च में कैबिनेट मंत्री सुखबिंदर सिंह सुखसरकरिया, ओम प्रकाश सोनी, सुनील जाखड़, आशा कुमारी, गुरजीत औजला, सुनील दत्ती, इंदरबीर बुलारिया, राजकुमार वेरका के अलावा स्टूडेंट्स ने भी हिस्सा लिया.
Shared with Governor Shri @vpsbadnore ji & thousands others the humbling experience of being part of the candle light march on eve of #JallianwalaBaghCentenary. These candles are a grim reminder of the sacrifice of the martyrs whose memories still inspire generations of Indians. pic.twitter.com/3BtH0BMydD
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) April 12, 2019
कार्यक्रम के लिए यहां पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पंजाब पुलिस के साथ साथ बीएसएफ को भी जलियावालां बाग में तैनात किया गया है.
क्या है जलियांवाला बाग हत्याकांड
सौ साल पहले 13 अप्रैल 1819 की बात है. उस दिन बैसाखी थी. एक बाग़ में करीब 15 से बीस हज़ार हिंदुस्तानी इकट्ठा थे. सब बेहद शांति के साथ सभा कर रहे थे. ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी. पर इससे दो दिन पहले अमृतसर और पंजाब में ऐसा कुछ हुआ था, जिससे ब्रिटिश सरकार गुस्से में थी.
इसी गुस्से में ब्रिटिश सरकार ने अपने जल्लाद अफसर जनरल डायर को अमृतसर भेज दिय़ा. जनरल डायर 90 सैनिकों को लेकर शाम करीब चार बजे जलियांवाला बाग पहुंचता है. डायर ने सभा कर रहे लोगों पर गोली चलवा दी.
बताते हैं कि 120 लाशें तो सिर्फ उस कुएं से बाहर निकाली गई थी जिस कुएं में लोग जान बचाने के लिए कूदे थे. कहते ये भी हैं कि करीब दस मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाने के बाद जनरल डायर इसलिए रुक गया था क्योंकि उसके सैनिकों की गोलियां खत्म हो गई थीं. अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि जलियांवाला बाग कांड में 379 लोग मारे गए थे.
जबकि हकीकत ये है कि उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे. इस नरसंहार के बाद पूरे देश में ऐसा गुस्सा फूटा कि ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिल गईं, लेकिन इतना सब होने के बाद भी ब्रिटिश हुकूमत ने आजतक इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है.