- प्रदेश, स्थानीय

मध्यप्रदेश ई-टेंडर घोटाले में ऑस्मो के तीनों डायरेक्टर 15 अप्रैल तक रिमांड पर

भोपाल : ई-टेंडर घोटाले में गिरफ्तार ऑस्मो कंपनी के तीनों डायरेक्टरों विनय चौधरी, वरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर को ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को अदालत में पेश किया। न्यायाधीश भागवत प्रसाद पांडे की कोर्ट में ईओडब्ल्यू की विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया ने केस डायरी पेश की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आरोपियों से जानकारी लेना है कि उन्होंने किस तरह से टेंडर में छेड़छाड़ की? गिरफ्तार आरोपी विनय चौधरी ने मेमोरेंडम दिया है कि वह कपंनी से संबंधित दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक सामग्री जब्त कराना चाहता है। ऐसे में आरोपियों से पूछताछ और सबूत इकट्ठा करने के लिये आरोपियों का पुलिस रिमांड जरूरी है।

न्यायाधीश भागवत प्रसाद पांडे के पूछे जाने पर कटघरे में खड़े आरोपियों ने कहा कि उनके साथ अनुसंधान अधिकारियों द्वारा पूछताछ की गई है लेकिन उन्हें कोई शारीरिक मानसिक प्रताड़ना नहीं दी गई है। केस डायरी को देखते हुए न्यायाधीश ने सभी आरोपियों का 15 अप्रैल तक का पुलिस रिमांड मंजूर किया।

ऑस्मो के एक और दफ्तर की होगी तलाशी

जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि ऑस्मो कंपनी के एक और दफ्तर होने का पता चला है। संभवत: शनिवार को यहां भी तलाशी ली जाएगी। जब्त हार्डडिस्क फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी जाएगी।

एमपीएसईडीसी के सीजीएम कपूर ने पद छाेड़ा

 एमपीएसईडीसी के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) तिलकराज कपूर ने अचानक पद छोड़ दिया है। हालांकि उन्हें एक साल का एक्सटेंशन मिला हुआ था। इसकी वजह विभागीय मंत्री और पीसी शर्मा की आपत्ति बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि प्रबंध निदेशक (एमडी) तन्वी सुंद्रीयाल ने चुनावी अचार संहिता के बीच में ही उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दे दिया था। लेकिन शर्मा जो एमपीएसईडीसी के चेयरमैन भी हैं, ने इस पर आपत्ति ली थी। उन्होंने एमडी को लिखे पत्र में कहा था कि इस तरह अचार संहिता के बीच एक्सटेंशन गलत है। कपूर ने भास्कर के साथ बातचीत में बताया कि उनका पद से हटने का ई टेंडरिंग की जांच से लेना देना नहीं है। वे मंत्री की आपत्ति के बाद स्वयं अलग हुए हैं। उन्होंने सफाई मेें कहा कि वे ही सबसे पहले ई टेंडरिंग में हो रही टेंपरिंग का मामला वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष लेकर गए थे। अपनी जांच रिपोर्ट में भी उन्होंने डिजिटल सिग्नेचर बनाने वाली कंपनी अाॅस्माे पर आशंका जताई थी। इसी आधार पर ईओडब्ल्यू ने आगे जांच की।

तीन हजार करोड़ से बढ़कर 80 हजार करोड़ के टेंडरों तक पहुंची जांच

ई-टेंडर घोटाले की जांच का दायरा बढ़ गया है। तीन हजार करोड़ के टेंडरों में टेंपरिंग पर केस दर्ज होने और आरोपियों को रिमांड पर लेने के बाद जांच एजेंसी ने इसका दायरा बढ़ा दिया है। ईओडब्ल्यू ने एमपीएसईडीसी को नोटिस देकर ई-टेंडर से जुड़ा सारा रिकॉर्ड तलब किया है। ये पूछा गया है कि ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम शुरू होने वाले वर्ष 2014 से अब तक कितने विभागों के टेंडर हो चुके है। कौन-कौन से प्रोजेक्ट शुरू और खत्म हो चुके है। ये काम किन-किन कंपनियों को दिए गए है। इनमें प्रतिस्पर्धा कितनी रही है। ऐसे में बीते सालों में हुए 80 हजार करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों के टेंडर जांच के दायरे में आ गए हैं।

वर्ष 2013-14 में ई-टेंडरिंग सिस्टम की शुरूआत हुई थी। अभी तक जांच का दायरा केवल पिछले साल टेंपरिंग की पुष्टि वाले टेंडर ही सीमित रहा है। ईओडब्ल्यू ने 9 निरस्त टेंडरों में टेंपिरंग पर एफआईआर दर्ज की है। एमपीएसईडीसी से पुराना रिकॉर्ड मिलने के बाद जांच में नई एफआईआर भी हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *