वॉशिंगटन: ईरान में भारत द्वारा बनाए जा रहे रणनीतिक चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट पर अमेरिका के प्रतिबंधों का कोई असर नहीं होगा। सोमवार को अमेरिकी सरकार ने फैसला किया था कि ईरान से तेल आयात करने वाले देशों को प्रतिबंधों से कोई छूट नहीं दी जाएगी। इस साल मई में भारत समेत 8 देशों को प्रतिबंधों में मिली छूट की सीमा खत्म हो रही है। अब अमेरिकी सरकार में एक अधिकारी ने कहा है कि चाबहार प्रोजेक्ट अलग है और उस पर प्रतिबंधों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ईरान के सीस्तान और बलूचिस्तान में बनाया जा रहा चाबहार पोर्ट
ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के सहयोग से बनाया जा रहा है। इसे भारत, अफगानिस्तान और ईरान के मध्य एशियाई देशों से व्यापार के लिए अहम बताया जा रहा है। यह बंदरगाह हिंद महासागर पर ईरान के सीस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में विकसित किया जा रहा है।
भारत के पश्चिमी तट से चाबहार बंदरगाह आसानी से पहुंचा जा सकेगा।इसे ग्वादर (पाक) की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। चाबहार से अफगानिस्तान को रेलमार्ग से जोड़ा जाएगा। अमेरिका ने पिछले साल भी पोर्ट पर विकास को लेकर भारत को कुछ खास प्रतिबंधों से छूट दी थी।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान के आर्थिक विकास और पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। ट्रम्प सरकार ने ईरान तेल प्रतिबंधों में छूट नहीं देने का जो फैसला लिया है, उसका इस प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं होगा।
अमेरिका ने नवंबर 2018 में ईरान लगाया था प्रतिबंध
2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से बाहर होने के बाद अमेरिका ने नवंबर 2018 में ईरान पर प्रतिबंध लगाया था। इसी महीने भारत के अलावा चीन, ग्रीस, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया को प्रतिबंधों से छूट दी थी। छूट की यह अवधि 2 मई को खत्म हो रही है।
ईराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। ईरान ने भारत को अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच 1.84 करोड़ टन क्रूड ऑइल सप्लाई किया था। भारत अपनी जरूरत का 80% तेल आयात करता है।