बेंगलुरु: करवार के पास युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य में आग लग गई। इसे बुझाने की कोशिश में नौसेना के एक अफसर शहीद हो गए। आईएनएस विक्रमादित्य पर इससे पहले 2016 में भी हादसा हो चुका है। तब जहरीली गैस लीक होने से नौसेना के दो कर्मियों की मौत हो गई थी।
Indian Navy: One officer dead during fire fighting ops onboard aircraft carrier INS Vikramaditya in Karwar, Karnataka. Navy has ordered a Board of Inquiry to probe the incident. Fire was controlled by its crew preventing any serious damage to the warship’s combat capability. pic.twitter.com/gkO0XfglXm
— ANI (@ANI) April 26, 2019
नेवी ने बताया, लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान ने बहादुरी से प्रभावित कम्पार्टमेंट में आग पर काबू पाने का प्रयास किया। इसी दौरान वे धुएं के चलते बेहोश हो गए। इसके बाद डीएस चौहान को करवार में नेवी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। नेवी के मुताबिक, युद्धपोत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। आग पर काबू पा लिया गया। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
विक्रमादित्य तैरते हुए शहर की तरह
रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य नाम दिया गया है। विक्रमादित्य एक तरह से तैरता हुआ शहर है। यह लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसकी हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है। इसका आकार तीन फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने विक्रमादित्य पर 30 लड़ाकू विमान, टोही हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। विक्रमादित्य पर कुल 22 डेक हैं। एक बार में 1600 से ज्यादा जवान इस पर तैनात किए जा सकते हैं। इस पर लगे जेनरेटर से 18 मेगावाट बिजली मिलती है। इसमें समुद्री पानी को साफ कर पीने लायक बनाने वाला ऑस्मोसिस प्लांट भी लगा है।