नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना और डीआरडीओ अगले सप्ताह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हवा से लॉन्च करने वाले वर्जन का परीक्षण करने की योजना बना रही है. इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत बालाकोट जैसे एयर स्ट्राइक देश में बने हथियारों की मदद से ही कर सकने में सक्षम होगा.
India likely to testfire air-launched version of BrahMos missile next week
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— ANI Digital (@ani_digital) April 27, 2019
पाकिस्तान के बालाकोट में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर स्ट्राइक के लिए भारत ने इजरायल में बने स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल किया था. इसे मिराज फाइटर प्लेन से गिराया गया था.
वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि 290 किलोमीटर तक मार कर सकने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का जल्द विकास करने के लिए वायुसेना पूरी कोशिश कर रही है. ये मिसाइल जमीन पर मौजूद टारगेट को ध्वस्त कर सकेगा. बालाकोट में वायुसेना ने ऐसा ही एयर स्ट्राइक किया था. इस मिसाइल का इस्तेमाल शुरू होने के बाद विमानों को दुश्मन की सीमा में जाने की जरूरत भी नहीं होगी.
डीआरडीओ द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल का ये परीक्षण अगले कुछ दिनों में सुखोई लड़ाकू विमान से हो सकता है. भारतीय वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि एयरफोर्स की योजना है कि 40 सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल फिट किया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर लंबी दूरी से ही इसका इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ किया जा सके.
फाइटर प्लेन में इन मिसाइलों का इस्तेमाल करने में आसानी हो इसलिए इन्हें हल्का बनाया गया है. एक बार सफलतापूर्वक परीक्षण करने और इसे सुखोई में शामिल करने के बाद इन मिसाइलों की स्ट्राइक रेंज और इनके द्वारा घातक प्रहार करने की इनकी शक्ति की वजह से वायुसेना की मारक क्षमता में व्यापक इजाफा होगा.
भारत सरकार के एक अधिकारी ने बताया, “वायुसेना की लगातार बदलती जरूरतें, वो भी ऐसे वक्त में जब हम दोतरफा युद्ध को नकार नहीं सकते हैं, ये बेहद अहम प्रोजेक्ट है.” बता दें कि अबतक वायुसेना के पास मौजूद सुखोई-30 एमकेआई फाइटर विमानों में से मात्र दो को ही इस तरह तैयार किया जा सका है कि वे 2.5 टन के सुपरसोनिक एयर-टू सरफेस क्रूज मिसाइल को दाग सकें. ब्रह्मोस-ए के आकार और वजह की वजह से एक सुखोई-एमकेआई एक ही मिसाइल अपने ट्रांसपोर्ट लॉन्च कैनिस्टर में ले जा सकता है.