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जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित

जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की भारत की कोशिशें कामयाब हुई हैं। इसके पीछे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन का चीन पर साझा दबाव काफी अहम रहा। अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने इसकी तारीफ करते हुए यूएन स्थित अमेरिकी मिशन की कोशिशों की तारीफ की। उन्होंने इसे आतंक के खिलाफ अमेरिकी कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जीत कहा। साथ ही दक्षिण एशिया में शांति के लिए भी बड़ा कदम बताया।

वहीं, व्हाइट हाउस ने भी मसूद के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि मसूद का मामला दिखाता है कि विश्व समुदाय पाक से आतंक खत्म करने के लिए कितना प्रतिबद्ध है। इस बीच भारतीय अफसरों ने कहा कि पाक इस पूरे मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है ताकि वह इस बड़े कूटनीतिक झटके से उबर सके। यूएन के फैसले के बाद पाक ने मसूद पर सख्ती की बात कही थी।

यूएन में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने बुधवार को बताया, ‘‘सभी देशों ने मिलकर मसूद को वैश्विक आतंकी करार दिए जाने का फैसला लिया है।’’ चीन ने मंगलवार को ही इसके संकेत दे दिए थे कि वह इस बार मसूद का नाम प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने की कोशिशों में रोड़ा नहीं बनेगा। हालांकि, इससे पहले चीन ने चार बार भारत की कोशिशों को तकनीकी कारण बताकर रोका था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।

अफसरों के मुताबिक- अजहर द्वारा जिस ताजा हमले की साजिश रची गई, वह पुलवामा फिदायीन हमला है। हालांकि, यूएन ने किसी एक हमले के आधार पर उसे वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया। इससे जुड़े कई सबूत सेंक्शंस कमेटी को सौंपे गए थे। यह (वैश्विक आतंकी घोषित होना) किसी आतंकी का बायोडाटा नहीं माना जा सकता। उसके द्वारा की गई सभी आतंकी साजिशें अधिसूचना में सूचीबद्ध होंगी।

यूएन कमेटी ने अजहर को अलकायदा के साथ संबंधों, आतंकी हमले की साजिश, उसके लिए फंड मुहैया व हथियार सप्लाई करने, आतंकियों की भर्ती और आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहने के चलते वैश्विक आतंकी घोषित किया

पाक के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा, “यूएन द्वारा मसूद पर लगाए गए बैन तुरंत लागू होंगे। अब वह न तो विदेश यात्रा और न ही हथियारों की सप्लाई कर पाएगा। पाक एक जिम्मेदार देश है और हम उचित कार्रवाई करेंगे। हमने इससे पहले मसूद को आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव को इसलिए नामंजूर कर दिया था क्योंकि इसका मकसद पाक की छवि को खराब करना था।

पहली बार मनमोहन सरकार ने मुंबई हमले के बाद 2009 में अजहर मसूद के खिलाफ यूएन में प्रस्ताव पेश किया। दूसरी बार 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को यूएन में पेश किया। तीसरी बार 2017 में उड़ी में सेना के कैंप में हमले के बाद ये प्रस्ताव पेश किया गया। चौथी बार पुलवामा हमले के बाद पेश किया गया। मसूद ने 25 साल में भारत में 20 से ज्यादा बड़े आतंकी हमले किए।

किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है। प्रस्ताव 1267 में उस व्यक्ति का नाम दर्ज करना होता है। सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थायी सदस्य हैं। इनके अलावा 10 अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है। दुनियाभर में उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। उसके यात्रा करने और उसे हथियार मुहैया कराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

भारत में कई हमलों का जिम्मेदार है मसूद
मसूद अजहर भारत में कई आतंकी हमलों को साजिश रचने के साथ उन्हें अंजाम दे चुका है। इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था। इसकी जिम्मेदारी भी मसूद के संगठन जैश ने ली थी। मसूद 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है। इस दौरान नौ सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। इसके अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के हेडक्वॉर्टर पर हमला किया था।

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