वॉशिंगटन : अमेरिका ने ईरान पर दबाव बनाने के लिए मध्यपूर्व में अपना नौसैना आक्रमण दल तैनात करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि इसका मकसद ईरान को साफ संदेश देना है कि अगर उन्होंने अमेरिका या उसके मित्र देशों के हितों का नुकसान किया तो उसे हमारी बेरहम ताकत का सामना करना पड़ेगा।
बोल्टन ने कहा, “हम ईरान से युद्ध नहीं करना चाहते, लेकिन किसी भी हमले का जवाब देने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं। फिर चाहे वह किसी छद्म तरीके से हो या ईरान की सेनाओं की तरफ से।” अमेरिका ने मध्यपूर्व स्थित अमेरिकी सेंट्रल कमांड में एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन के साथ बॉम्बर टास्क फोर्स को भी भेजा है।
US deploys carrier strike group to send “clear and unmistakable message” to Iran https://t.co/Ok8QBNm8GO pic.twitter.com/0zdVbZdekH
— The Hill (@thehill) May 6, 2019
ईरान की चेतावनियों के बाद लिया फैसला
बोल्टन के मुताबिक, ईरान की तरफ से कई परेशान करने वाली चेतावनियां मिलीं, जिसके बाद अमेरिका ने यह फैसला किया। उन्होंने अपने बयान में यह साफ नहीं किया कि उन्होंने नौसेना को मध्यपूर्व में तैनात करने के लिए यह समय क्यों चुना। हालांकि, अंदाजा लगाया जा रहा है कि गाजा स्थित फिलिस्तीनी उग्रवादियों के इजरायल पर हमले के बीच ईरान भी मौके का फायदा उठा सकता है।
एक-दूसरे की सेना को आतंकी करार दे चुके दोनों देश
इसके अलावा पिछले साल ही अमेरिका ने ईरान पर परमाणु संधि तोड़ने का आरोप लगाया था। अमेरिका का कहना था कि ईरान बिना अनुमति के अपने यूरेनियम का संवर्द्धन कर रहा है। इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका ने ईरान के सैनिक संगठन इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स काेर (आईआरजीसी) काे भी आतंकी संगठन करार दे दिया है। जवाब में ईरान भी अमेरिकी सेना को मध्य-पूर्व में आतंकी बताकर कार्रवाई की चेतावनी दे चुका है।