प्रतिदिन:
मतदान ? जी, जरुर कीजिये
२०१९ का आम चुनाव कार्यक्रम शनै: शनै: अपने अंतिम पायदान की ओर जा रहा है | हर आम चुनाव के समय भारतीय नागरिक विश्व में सबसे बड़े मतदाता समूह और चुनावी ढांचे वाले देश के रूप में चिन्हित किए जाते हैं। चुनाव प्रणाली और लोकतंत्र की चाहे जितनी खामियां हों , लेकिन जब समग्र रूप से विचार करें तो यह लोकतंत्र की उपलब्धि है।
आजादी के बाद भारत का पहला आम चुनाव रोमांचक था | पहले आम चुनाव में लोकसभा की ४९६ तथा राज्य विधानसभाओं की ३२८३ सीटों के लिए भारत के १७ करोड़३२ लाख १२ हजार ३४३ मतदाताओं का पंजीयन हुआ था। इनमें से १० करोड़ ५९ लाख लोगों ने, जिनमें करीब ८५ प्रतिशत निरक्षर थे, अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव करके पूरे विश्व को आश्चर्य में डाल दिया था। २५ अक्टूबर १९५१ से २१ फरवरी १९५२ तक यानी करीब चार महीने चली उस चुनाव प्रक्रिया ने भारत को एक नए मुकाम, विश्व के घोषित लोकतांत्रिक देशों की कतार में खड़़ा कर दिया था ।विभाजन के दंश और व्यापक निरक्षरता को झेलते हुए देश के सभी नागरिकों को मतदान करने और सरकार चुनने का अधिकार मिला। अब ७० साल पुराने लोकतंत्र में आज इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के जरिये मतदान प्रक्रिया पूरी हो रही है।
देश के संविधान के अनुसार १८ वर्ष से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार है। सरकार भी मतदान के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लोगों को वोट देने से पहले चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवारों के बारे में सब कुछ जानना चाहिए और अच्छे प्रशासन के लिए सबसे योग्य व्यक्ति को वोट देना चाहिए। भारत एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जाना जाता है। हालांकि अभी भी कुछ कमियां हैं जिन पर काम करने की आवश्यकता है। सरकार को सही मायने में लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए गरीबी, निरक्षरता,सांप्रदायिकता, लिंग भेदभाव और जातिवाद को समाप्त करने पर काम करना चाहिए। लोकतंत्र को सरकार का सबसे अच्छा रूप कहा जाता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति देता है। सरकार देश के आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी बुद्धि और जागरूकता है जिससे वे सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करते हैं।
भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं। अक्सर लोगों को सबसे योग्य उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन फिर भी जाति भारतीय राजनीति में भी एक बड़ा कारक है| जो चुनावी प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है, इसके साथ हम मतदाता को अब तक निर्भय बनाने में सफल नहीं हुए हैं ।
विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा जो अभियान चलाये जाते है, उनका उद्देश्य नागरिको के के विकास के लिए उनके भविष्य के एजेंडे पर पर जोर देना होना चाहिए, जो नहीं हो रहा है । भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करना है। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को विश्वव्यापी प्रशंसा प्राप्त हुई है पर अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनके लिए सुधार की आवश्यकता है ताकि लोकतंत्र को सही मायनों में परिभाषित किया जा सके। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लिंग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए।
हम एक लोकतांत्रिक देश के स्वतंत्र नागरिक है। लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है वोट देने का अधिकार। इस अधिकार को पाकर हम मतदाता कहलाते हैं। वही मतदाता जिसके पास यह ताकत है कि वो सरकार बना सकता है, सरकार गिरा सकता है और तो और स्वयं सरकार बन भी सकता हैं। बिना कर्तव्य निभाए अधिकारों की बात नहीं की जा सकती, किसी भी सरकार से सवाल का अधिकार ही तब है जब हम अपने कर्तव्य का पालन करते हैं हम ऐसे नेता को चुनें जो आम आदमी के हित में कार्य करे। शत प्रतिशत मतदान से ही लोकतंत्र को हम सही दिशा दे पाएगे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए और मजबूत लोकतंत्र के लिए मतदान करना आवश्यक है शत प्रतिशत मतदान, लोकतंत्र की जान है। जिस दिन भी हो जहाँ भी हों,मतदान जरुर कीजिये | यकीन मानिये इसी से देश की तस्वीर बदलेगी, आज नहीं तो कल अच्छे लोग आपका नेतृत्व करेंगे |