मां के कई रूप हैं और उसमें धैर्य है, प्यार है और इतनी फिक्र है कि उसका कर्ज उतारना मुश्किल है। मदर्स डे पर पढ़िए ऐसे ही किस्से जो उसकी इन्हीं खूबियों को बयां करते हैं…
3 किस्सों में मां की पीड़ा, दर्द और समझदारी
विवेकानंद ने पांच सेर के पत्थर से बताई मां की अहमियत
स्वामी विवेकानंद जी से एक बार एक व्यक्ति ने सवाल किया- मां की महिमा संसार में किस कारण है? स्वामी जी मुस्कराए। बोले- पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ और किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बांध लो। चौबीस घंटे बाद मेरे पास आना, फिर बताऊंगा।
उस व्यक्ति ने पत्थर पेट पर बांधा और चला गया। दिनभर पत्थर पेट पर बांधे वह काम करता रहा। पूरे दिन उसे परेशानी हुई। शाम तक वह थक गया। पत्थर का बोझ लेकर चलना उसके लिए असहनीय हो गया। आखिरकार थककर वह स्वामी जी के पास पहुंचा और बोला- मैं इस पत्थर को बांधकर और नहीं चल सकूंगा।
इसके बाद स्वामी जी ने कहा- पेट पर यह बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया, जबकि मां अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक लेकर चलती है और घर का सारा काम करती है। संसार में क्या मां के सिवाय कोई इतना धैर्यवान और सहनशील है? इसलिए दुनिया में मां की महिमा अलग है।
चिट्ठी में लिखा था एडिसन मंदबुद्धि है, मां ने जीनियस बना दिया
कुछ पल और शब्द ही जीवन बदलने लिए काफी हैं, मशहूर वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के जीवन में भी ऐसा ही टर्निंग प्वाइंट आया था। घटना उनके बचपन की है। एक दिन एडिसन को उनकी टीचर ने लेटर दिया और इसे मां को देने को कहा। एडिसन ने वह लेटर अपनी मां को दिया और उनसे पढ़ने को कहा।
मां ने जैसे ही लेटर को देखा, उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने पढ़ना शुरू किया, कहा- आपका बच्चा बेहद प्रतिभाशाली है। यह स्कूल उसे पढ़ाने के लिए छोटा है। इस स्कूल में उसे ट्रेनिंग देने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। कृपया उसे आप ही पढ़ाएं।
कई सालों बाद एडिसन की मां की मृत्यु हो गई। एक दिन एडिसन घर में कुछ ढूंढ रहे थे। इस दौरान उनकी नजर परिवार से जुड़ी तस्वीरें और एक लेटर पर पड़ी। उन्होंने अलमारी की दराज के कोने में पड़े इस लेटर को उठाया और पढ़ा। उसमें लिखा था, ‘‘आपका बेटा बेहद मंदबुद्धि है। हम उसे अब और स्कूल आने नहीं दे सकते।’’
इसे पढ़कर एडिसन घंटों रोए और चिल्लाए। इस घटना ने एडिसन को बदलकर रख दिया। जीवन में कुछ नया और सबसे अलग करने के लिए प्रेरित किया। इस पूरे किस्से को उन्होंने अपनी डायरी में दर्ज किया। उन्होंने लिखा, ‘‘थॉमस अल्वा एडिसन अपनी हीरो मां का मंदबुद्धि लड़का है जो सदी का जीनियस बना।’’
गुलज़ार की दिल दहलाने वाली कहानी – रावी पार
गुलजार की एक कहानी है ‘रावी पार’। विभाजन के वक्त की यह दिल दहलाने वाली कहानी है।
सरदार दर्शन सिंह और उसकी बीवी शाहनी अपने जुड़वां दुधमुंहे बच्चों को लेकर ट्रेन से लाहौर जा रहे थे। ट्रेन में जगह नहीं मिली। गांव के टोले के साथ ट्रेन की छत पर सवार हो गई। मारे ठंड के एक बच्चे ने दम तोड़ दिया। आसपास बैठे लोगों ने कहा- मरी, मरे बच्चे को कहां ले जाएगी? यहीं रावी (नदी) में ठंडा कर दे! मां ने बच्चे को रावी में ठंडा कर दिया। उस मां की हालत देखिए, जिसे लाहौर जाकर पता चला कि जिंदा बच्चा तो रावी में बहा आई और मरे हुए को छाती से चिपकाकर यहां चली आई।