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भारतीय समुदाय गंगा की तरह क्लाइड नदी में अस्थि विसर्जन कर सकेगा, सरकार ने दी अनुमति

ग्लासगो : स्कॉटलैंड का भारतीय समुदाय अंतिम संस्कार के बाद क्लाइड नदी में गंगा की तरह अस्थि विसर्जन कर सकेगा। यहां का हिंदू और सिख समुदाय काफी दिनों से इसकी मांग कर रहा था। स्कॉटलैंड की इन्वर्टिसली काउंसिल ने स्थानीय लोगों से बातचीत कर समुदाय को अनुष्ठान करने की अनुमति दे दी है। अंतिम संस्कार के बाद परंपराएं पूरी हों, इसके लिए नदी किनारे एक शांत इलाका चुना गया है। यहां स्लिपवे पर रेलिंग बनाई गई है। पोर्ट नेवार्क स्थित यह स्थान ग्लासगो शहर से 35 किमी दूर है।

2014 में इंग्लैंड ने तय किया था अस्थि विसर्जन का स्थान
इससे पहले 2014 में इग्लैंड ने लीसेस्टरशायर में सोर नदी में अस्थि विसर्जन के लिए स्थान तय किया था। यहां बड़ी संख्या में हिंदू, जैन और सिख समुदाय के लोग रहते हैं। तब लीसेस्टर के काउंसिलर पिआरा सिंह क्लेयर ने कहा था, प्रशासन ने हमें स्थान दिया। हमने पर्यावरण एजेंसी के साथ मिलकर इसे चुना था।

समस्याएं सुलझाने के लिए बनाया प्राधिकरण
इन्वर्टिसली काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह मामला काफी संवेदनशील है। हम काफी समय से हिंदू और सिख समुदाय से नदी के किनारे अस्थि विसर्जन का स्थान चुनने के लिए बातचीत करते रहे हैं। आगे भी कोशिश करते रहेंगे, ताकि अन्य समस्याएं सुलझाई जा सकें। इसके लिए एक स्थानीय प्राधिकरण भी बनाया है।’’

नाव चालकों ने किया विरोध

काउंसिल ने उम्मीद जताई है कि जो स्थान अस्थि विसर्जन के लिए चुना गया है, वह सम्मानजनक है। हालांकि, कुछ नाव चालकों ने आपत्ति जताई है। इसमें नेवार्क बोट क्लब के सदस्य भी हैं। काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बोट चालकों के विरोध को देखते हुए तय किया गया कि स्लिपवे से भी नौकाओं के लिए अवसर मिलें।” पोर्ट ग्लासगो के काउंसिलर डेविड विल्सन ने कहा, “यह काम मानवता के दृष्टिकोण से बेहतर है, जो मिसाल साबित होगी।’’

अस्थियों की राख का पानी पर कम असर होता है
पर्यावरण एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अस्थियों की राख का पानी की गुणवत्ता पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन अन्य वस्तुओं को पानी में नहीं डालना चाहिए। पुष्पांजलि के दौरान धातु या प्लास्टिक भी हो सकता है। यह कूड़े का कारण बन सकता है, जो जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है।’’

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