- अभिमत

भोपाल का फैसला “हिस्सेदारी” पर

प्रतिदिन:
भोपाल का फैसला “हिस्सेदारी” पर
हैदराबाद से उठाया गया “वतन में हिस्सेदारी” का मसला समाज में हलचल मचा रहा है | ये वो समाज है,जो शांति के साथ इस देश में पीढ़ियों से रहता आया है और रहना चाहता है |  ओवैसी जिस संविधान की आड़ लेकर, जो दोहरी बात  कह रहे हैं उससे हर हिन्दुस्तानी परहेज बरत रहा है| भोपाल का मुकाम देश के आलमी मरकजों में एक खास हैसियत रखता है | भोपाल में ओवैसी का के हिस्सेदारी वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है | रात पटियों पर रोशन होने वाले अदबी भोपाल ने इसे नकारते हुए सवाल उठाया है कि “जब सारा का सारा मुल्क हमारा है | हम सब इसके बेटे-बेटी हैं, तो हिस्सेदारी की बात दिमागी खलल है | भोपाल में पटियों से अलहदा  किसी प्रकार की रायशुमारी और गोल बंदी होती भी नहीं है | भोपाल में पिछले दो दिनों से इसी बात को लेकर पटियों पर चर्चा गर्म है कि ये बेवजह का खलल क्यों?

ओवैसी ने अपने मूल बयान में कहा है कि “ हिंदुस्तान के वजीर-ए-आजम ३००  सीट जीत कर हिंदुस्तान पर मनमानी करेंगे, तो यह नहीं हो सकेगा। संविधान का हवाला देकर वजीर-ए-आजम से कहना चाहता हूं कि ओवैसी आपसे लड़ेगा, मजलूमों के इंसाफ के लिए लड़ेगा। हिंदुस्तान को आबाद रखेंगे, हम यहां किरायेदार नहीं, बराबर के हिस्सेदार रहेंगे।“ भोपाल के बड़े उलेमा ने कहा है कि इस्लामी मान्यताओं के अनुसार ईश्वर मानवों में सुधार करने के लिये हर कौम में नबी भेजता है। मान्यता ये भी है कि अल्लाह ने धरती पर १  लाख २४  हजार नबी भेजे।  हजरत मोहम्मद से पहले जितने भी नबी भेजे गये थे वो सबके सब अपनी कौम के लिये भेजे गये थे। यानि उनकी नुबूबत और तब्लीग का दायरा उनके अपने वतन तक सीमित था। यकीनन उन्होंनें अपने वतन और अपने हमवतनों की बेहतरी, सुरक्षा और खुशहाली के लिये हर संभव कोशिशें की होंगी और ये बात कुरान और हदीस से भी साबित है। खुद आखिरी पैगंबर नबी और उनके सहाबियों का अमल अपने वतन और हमवतनों से मोहब्बत की तालीम देती है। इस रोशनी में ओवैसी की बात का मतलब बदल जाता है |

भाजपा भी चुप नहीं रही | दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने फ़ौरन भाजपा की हिमायत में  कहा- ”हमने हमेशा सेवक के रूप में काम किया है। सब जानते हैं कि मोदीजी कभी शासक नहीं बने। कुछ लोगों को इससे पेट में दर्द हो रहा है, क्योंकि मोदी सरकार के कामकाज से उनकी वोटों की दुकानें बंद हो चुकी हैं। अब वे वोटों की खरीदफरोख्त नहीं कर पा रहे हैं।” भोपाल का अदब इस प्रतिक्रिया को भी गैर जरूरी मानता है |

चर्चा ओवैसी द्वरा मोदी से पूछे सवाल को लेकर भी है | ओवैसी का सवाल था  कि क्या पीएम हमें बता सकते हैं कि ३००  में से कितने सांसद मुस्लिम हैं, जो इस बार लोकसभा में चुनकर आए हैं? क्या मोदीजी क्या उन गिरोह पर कार्रवाही करेंगे, जो गाय के नाम पर बेकसूर मुसलमानों की हत्या करते हैं, फिर वीडियो बनाकर अपमानित करते हैं? ओवैसी ने कहा कि अगर पीएम इस बात से सहमत हैं कि ‘अल्पसंख्यक डर’ में रहते हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि ऐसा क्यों ? भोपाल में इन सवालों को भी “हजल” का ख़िताब दिया गया | जिस शाब्दिक अर्थ परिहास में कही गई बात, होता है |

चर्चा में एनडीए का नेता चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में करीब ७५ मिनट का दिया गया भाषण भी है | इसमें उन्होंने नया नारा दिया- सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। मोदी ने कहा था कि देश में अब तक अल्पसंख्यकों को भ्रम में रखा गया, उनके साथ छल किया गया। वोट बैंक की राजनीति में छलावा, काल्पनिक भय बनाया गया और उन्हें दबाकर रखा गया। हमें इस छल में भी छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है। इस पर भी आई प्रतिक्रिया जोरदार थी | प्रतिक्रिया थी, इस बार सरकार जोश में है |  भोपाल प्रतिक्रिया  देने में नही चूकता, देता है, पूरे होशोहवास में |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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