प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पहली विदेश यात्रा पर शनिवार को मालदीव पहुंचे. मालदीव ने भी प्रधानमंत्री मोदी को विदेशी शख़्सियतों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘रूल ऑफ़ निशान इज़्ज़ुद्दीन’ से सम्मानित किया. सम्मानित किए जाने के बाद पीएम मोदी ने मालदीव का आभार व्यक्ति किया और लिखा, मालदीव ने मुझे अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दिया है और मैंने विनम्रता से इसे स्वीकार किया. यह सिर्फ मेरा सम्मान नहीं है बल्कि दोनों देशों की दोस्ती का सम्मान है.
कुछ दिन पहले दोनों देशों के बीच रिश्तों की तस्वीर ऐसी नहीं थी. पिछले कुछ वर्षों में मालदीव से भारत के रिश्ते बेहतर नहीं रहे, इसी का फायदा उठाकर चीन ने मालदीव में अच्छा खासा दबदबा बनाया. मगर मालदीव में 2018 के बाद जब सरकार बदली उसके बाद से भारत के साथ रिश्तों की नई पहल हुई. इसी रिश्ते को और प्रगाढ़ करने के लिए पीएम मोदी मालदीव पहुंचे. वहां की संसद को संबोधित किया और आतंकवाद के मुद्दे पर आक्रमकता से अपनी बात रखी.
बहरहाल, पीएम मोदी ने मालदीव के इस दौरे से दूसरे कार्यकाल में अपनी पहली यात्रा की औपचारिकता नहीं पूरी की है बल्कि उन्होंने अपने उन दो पड़ोसी देशों को भी साध लिया है जो सामरिक और आर्थिक तौर पर भारत के बड़े प्रतिद्वंदी हैं. गलगोटिया यूनिवर्सिटी में राजनीति विभाग के प्रमुख डॉ. श्रीश पाठक कहते हैं कि भारत सरकार ने सही दिशा में कदम बढ़ाया है.
श्रीश पाठक कहते हैं कि मालदीव की मजलिस (संसद) में मोहम्मद नशीद को स्पीकर के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बैठे देखना अच्छा लगा. पिछले साल फरवरी में अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने जब देश में आपातकाल लगाया था तो इन्हीं नशीद ने तब भारत सरकार को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.