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गंगा दशहरा 75 साल बाद शुभ महोत्सव पर बन रहा है ‘दिव्य योग’

गंगा भारत में बहने वाली एक नदी है. यह उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलती है. भारत के कई महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है. हिन्दू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है. इन्हे हिन्दू धर्म में मां का स्थान प्राप्त है. माना जाता है कि गंगा का जल पुण्य देता है और पापों का नाश करता है.

पौराणिक महत्व क्या है ?

माना जाता है कि गंगा श्री विष्णु के चरणों में रहती थीं. भागीरथ की तपस्या से, शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया. फिर शिव जी ने अपनी जटाओं को सात धाराओं में विभाजित कर दिया. ये धाराएं हैं – नलिनी, हृदिनी, पावनी, सीता, चक्षुष, सिंधु और भागीरथी. भागीरथी ही गंगा हुई और हिन्दू धर्म में मोक्षदायिनी मानी गई. इन्हें कहीं-कहीं पार्वती की बहन कहा जाता है. इन्हें शिव की अर्धांगिनी भी माना जाता है और अभी भी शिव की जटाओं में इनका वास है

गंगा दशहरा पर्व की महिमा क्या है

गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है. माना जाता है कि, इसी दिन गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था. इस दिन गंगा स्नान, गंगा जल का प्रयोग, और दान करना विशेष लाभकारी होता है. इस दिन गंगा की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है. व्यक्ति को मुक्ति मोक्ष का लाभ मिलता है. इस बार गंगा दशहरा 12 जून को मनाया जाएगा.

75 साल बाद बना दिव्य योग

गंगा दशहरा पर 75 साल बाद 10 दिव्य योग का संयोग बन रहा है. दस योग में ज्येष्ठ योग, व्यतिपात योग, गर करण योग, आनंद योग, कन्या राशि के चंद्रमा व वृषभ राशि के सूर्य की दशा में महायोग बन रहा है. ज्योतिषी इसे दस योग बता रहे हैं. इसलिए गंगा में नहाकर आइए और दस प्रकार के पापों से छुटकारा पाइए.

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