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हॉन्गकॉन्ग में प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोगों पर पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं

हॉन्गकॉन्ग:  प्रस्तावित प्रत्यर्पण बिल खिलाफ चार दिन से प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों ने विधेयक से पीछे हटने के लिए सरकार को बुधवार सुबह 7 बजे तक का वक्त दिया था। इस समयसीमा के बीतते ही बारिश के बावजूद 50 हजार से ज्यादा लोग काले कपड़ों में सड़कों पर आ गए। 12 घंटे जाम की स्थिति बनी रही।  लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े और मिर्च स्प्रे किया। इसमें 79 लोग घायल गए। 2 की हालत गंभीर है। लोगों ने भी पुलिस पर पथराव किया।

22 साल पहले यूके ने चीन को सौंपा था
1997 में यूके-चीन समझौते के तहत हॉन्गकॉन्ग चीन को सौंपा गया था। इसके बाद से वहां अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक अस्थिरता देखी गई है। छात्र, लोकतंत्र समर्थक, धार्मिक संगठन और व्यापार प्रतिनिधि सभी प्रत्यर्पण बिल का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

क्या है प्रस्तावित प्रत्यर्पण कानून 
हॉन्गकॉन्ग के मौजूदा प्रत्यर्पण कानून में कई देशों से प्रत्यर्पण समझौते नहीं है। चीन को भी अब तक प्रत्यर्पण संधि से बाहर रखा गया था। नया विधेयक इस कानून में विस्तार करेगा और ताइवान, मकाऊ और मेनलैंड चीन के साथ भी संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देगा। बिल का विरोध कर रहे लोगों ने इसे अपारदर्शी करार दिया। साथ ही कहा कि चीन इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है।

प्रस्ताव पर 20 को वोटिंग 
विरोध के बावजूद हांगकांग प्रशासन प्रत्यर्पण बिल पर अड़ा हुआ है। प्रशासन की नेता कैरी लेम को उम्मीद है कि जल्द ही इस पर फैसला होगा। बुधवार को हिंसा के चलते दूसरी बार सदन में बिल नहीं पढ़ा जा सका। अब 20 जून को इस प्रस्ताव पर अंतिम मतदान होना है।

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