इंदौर: साेशल मीडिया पर एक वीडियो तेेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में इंदौर नगर निगम में भाजपा की महापौर और इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-4 से विधायक मालिनी गौड यह कह रही हैं कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में कोई फर्क नहीं, दोनों एक ही है। वहीं बुधवार को निगम बजट सत्र के दौरान पहले राष्ट्रगान गाना प्रारंभ कर दिया गया था लेकिन कुछ ही सेकंड बाद राष्ट्रगान बीच में बंद कर राष्ट्रगीत प्रारंभ कर दिया गया था। रष्ट्रगान के अपमान को लेकर कांग्रेसी पार्षदों ने भाजपाईयों पर कार्रवाई की मांग की है।
बजट सत्र के बाद जब एक पत्रकार ने महापौर से पूछा गया कि राष्ट्रगान क्या होता है, जरा गा दीजीए तो महापौर ने कहा कि राष्ट्रगान ऐसे नहीं गाया जाता, उसके लिए खड़ा होना पड़ता है, राष्ट्रगान का अपमान होता है..आप सभी को पता है राष्ट्रगान क्या है जन गण मन। जब उनसे पूछा गया कि राष्ट्रगीत क्या है तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत यहीं है ना जन गण मन….राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत एक ही होता है, गान को ही गीत बोलते है।
इस पर उनसे पूछा गया कि शायद इसीलिए निगम बजट सत्र के प्रारंभ में कंफ्यूजन हो गया तो महापौर बोली की नहीं क्या कंफ्यूजन…तब उनसे पूछा गया कि राष्ट्रगान बीच में रोक दिया गया था तो वे बोली कि किसने रोका, नहीं किसी ने भी नहीं रोका, बल्कि राष्ट्रगान प्रारंभ हुआ तो विपक्ष की नेता चिल्ला रही थी, उन्होंने अपमान किया है इसका।
कांग्रेस ने किया ट्वीट
एमपी कांग्रेस ने महापौर के इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है कि इंदौर की महापौर और तीन बार की बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ जी राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को एक ही बता रही है। दिया तले अंधेरा तो सुना था, पर इतना अंधेरा…?
जन गण मन बीच में रोककर गाया था वंदे मातरम्
बुधवार को इंदौर में निगम के बजट सत्र के दौरान पार्षदों के बीच राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई। बुधवार को सत्र की शुरुआत में पार्षद वंदे मातरम की जगह जन गण मन गाने लगे, लेकिन हस्तक्षेप के बाद इसे बीच में रोककर फिर वंदे मातरम् पर आ गए और इसे पूरा किया। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें महापौर और भाजपा विधायक मालिनी गौड़, निगम कमिश्नर आशीष सिंह, चेयरमैन अजय सिंह नरुका और सभी पार्षद नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाते हुए विपक्षी पार्षदों ने निगम कमिश्नर आशीष सिंह से कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, इसे माफ नहीं किया जा सकता। सूत्रों के मुताबिक, जान-बूझकर राष्ट्रगान के गायन में बाधा डालने या इसे बीच में रोकने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।
पार्षदों की जुबान फिसलने से गलती हुई: चेयरमैन
चेयरमैन अजय सिंह नरुका ने कहा, ”पार्षदों की जुबान फिसलने से यह गलती हुई है। मुझे नहीं लगता कि इसके पीछे कोई दुर्भावना हो। इसलिए मामले को ज्यादा न बढ़ाया जाए। निगम की परंपरा के हिसाब से बजट सत्र की शुरुआत वंदेमातरम के गायन से होती है और जन गण मन के साथ खत्म होता है।”