शुक्रवार को चीन ने कहा कि जब तक परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) में हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को लेकर किसी योजना पर कोई सहमति नहीं बन जाती है, तब तक भारत को एनएसजी में शामिल करने की कोई चर्चा नहीं होगी.
जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग से पूछा गया कि यह सहमति कब तक बन पाएगी, तो उन्होंने समय सीमा बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इस मसले पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है. लिहाजा वो इसको लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं.
जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कांग से पूछा गया कि क्या भारत के एनएसजी में शामिल किए जाने को लेकर चीन के रुख में बदलाव आया है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कजाख्तान के अस्ताना में चल रही एनएसजी की बैठक में भारत को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. जब तक परमाणु अप्रसार संधि में हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को लेकर किसी योजना पर सहमति नहीं बन जाती है, तब तक एनएसजी में दूसरे देशों को शामिल करने को लेकर चर्चा नहीं होगी.
इस दौरान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कांग ने कहा कि चीन भारत के एनएसजी में प्रवेश पर अड़ंगा नहीं लगा रहा है. चीन तो सिर्फ एनएसजी के नियमों और प्रक्रियाओं के पालन की बात कह रहा है. उन्होंने कहा, ‘चीन भारत ही नहीं, बल्कि किसी भी देश के एनएसजी में शामिल किए जाने पर अड़ंगा नहीं लगा रहा है. एनएसजी की प्रक्रिया और नियम हैं, जिनके मुताबिक सदस्य देश फैसला लेते हैं. मुझको लगता है कि अस्ताना में एनएसजी की बैठक चल रही है और इसमें गैर परमाणु अप्रसार संधि वाले देशों, राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर चर्चा होगी