नीमच: कनावटी जेल ब्रेक की घटना के दसवें दिन वारदात के मास्टर माइंड विनोद डांगी व गिरफ्त में आए कैदी लेखराम बावरी ने पुलिस रिमांड में सनसनीखेज खुलासा किया। पुलिस को जांच का नया एंगल भी मिला। इधर, मामले में बुधवार को 4 प्रहरियों को बर्खास्त कर दिया है।
कार्रवाई प्रहरी विजेंद्रसिंह धाकड़, ईश्वरचंद परसरामपुरी, पंकित कल्याण शर्मा, बालमुकुंद लबाना पर की गई। लबाना ने ड्यूटी पर रहते व्हिसल तक नहीं बजाई थी। बाकी प्रहरियों ने 1-1 लाख रुपए लिए थे। जांच में ईश्वर के बैंक खाते से 5.50 लाख रुपए मिलने की पुष्टि भी हुई थी। मामले में 10 दिन की जांच के बाद एसपी राकेश सगर ने एडीजी जेल सुधीर शाही को जांच प्रतिवेदन भेजा था। स्पष्ट हुआ कि सांठगांठ से ही कैदियों को जेल से भगाया। सर्किल जेल अधीक्षक रतलाम आरआर डांगी ने चारों प्रहरियों को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए।
इन पर पहले ही नीमच पुलिस ने आपराधिक केस भी दर्ज किया है। इससे पहले मामले में जेल अधीक्षक आरपी वसुनिया, डिप्टी जेलर रंभा चौहान भी निलंबित हो चुके थे। 24 जून को चौकसी परेड में लापरवाही बरतने पर आरआर डांगी ने 3 अन्य प्रहरियों रोहित यादव, रसिका तिवारी, वीपेंद्र शर्मा को भी निलंबित कर दिया था।
सबसे पहले पंकज ने पूछा था- जेल से भागने का
इधर, डांगी व लेखराम ने पुलिस को बताया कि बैरक में सबसे पहले कैदी पंकज मोंगिया ने साथियों से पूछा था- जेल से भाग सकते हैं, तुम तीनों क्या सोचते हो? सवाल ही ऐसा था कि चारों एक-दूजे को देख मुस्करा दिए और साजिश पर काम शुरू हुआ। मास्टर माइंड विनोद ने टेका लगाया और एक-एक कर प्रहरियों को सेट कर मुखबिरी लेकर जेल ब्रेक को अंजाम भी दे डाला। 23 जून की सुबह 3 से 4 बजे की घटना काे 10 दिन बीत चुके हैं। अब भी पुलिस जेल फांदकर भागने वाले नारसिंह, पंकज मोंगिया व दुबेलाल तक नहीं पहुंच सकी है। फरारी काटने वालों के पास मोबाइल नहीं होने से जांच रिश्तेदारों-परिचितों तक सीमित है।
मास्टर माइंड विनोद ने बताया प्लानिंग तो कैदियों ने की थी। मैंने तो भागने के रास्ते पर योजना में सहयोग दिया। नीमच कैंट पुलिस ने बुधवार दोपहर को गिरफ्त में आए कैदी लेखराम व इनकाे छिपाने वाले सहयोगी मिट्टू लंगड़ा को कोर्ट में पेश किया, जहां से 4 जुलाई तक के लिए रिमांड मिला। कोर्ट के आदेश पर कैदी पवन, रामप्रसाद व मास्टर माइंड विनोद को जावद जेल भेजने का आदेश हुआ।
प्रहरियों के नहीं अब पुलिस के भरोसे पर काम हो रहे
इधर, जेल ब्रेक वाले दिन ही कनावटी आकर जेल एडीजी सुधीर शाही, कमिश्नर अजीतकुमार, आईजी राकेश गुप्ता, डीआईजी गौरव राजपूत ने भी जेल का निरीक्षण किया था। 10 दिन बाद भी कैमरे, इलेक्ट्रिक तार फेंसिंग नहीं लग पाई। जेल का आलम ये है कि अब हालात के मद्देनजर प्रहरियों पर भरोसा नहीं रहा। पुलिस टीम के भरोसे काम लिए जा रहे हैं।
फरार तीनों बंदियों के पास मोबाइल नहीं होने से गिरफ्तारी में देर लग रही है। वैसे टीमें राजस्थान समेत आसपास का एरिया कवर किए हुए हैं। बुधवार को कोर्ट संबंधी प्रक्रिया में 2 लोगों का रिमांड लेने के साथ अन्य तीन को जेल भेजा है।