इंदौर : वाणिज्यिक कर विभाग की टीम ने शुक्रवार को इंदौर में 20 से अधिक व्यापारी, संस्थाओं पर छापा मारा। इस कार्रवाई में फर्जी बिलों के जरिए 100 करोड़ रु. से ज्यादा का कारोबार करने और इसी कारोबार के जरिए सरकार से 20 करोड़ रु. से अधिक का टैक्स क्रेडिट लेने का खुलासा हुआ। ये सभी फर्म और व्यापारी जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं। इनमें से पांच जगह तो टीम को न दुकान मिली न ऑफिस। संस्थाएं सिर्फ फर्जी कागजों पर चल रही थीं। ये व्यापारी मुख्य रूप से लोहा, शकर, ऑटो पार्ट का कारोबार िदखाने वाले हैं।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि इन कारोबारियोंे ने कागजों पर ही सौ करोड़ से अधिक का कारोबार दिखाकर इनके फर्जी बिल जारी कर दिए और इसी आधार पर 20 करोड़ से अधिक की टैक्स क्रेडिट भी ले ली। स्टेट टैक्स कमिशनर डीपी आहूजा के निर्देश पर एडिशनल कमिशनर अविनाश लवानिया इस कार्रवाई को मॉनिटर कर रहे हैं।
1100 करोड़ रुपए का भी घोटाला आ चुका है सामने : नवंबर 2018 में इंदौर में इसी तरह का 1100 करोड़ रु. का घोटाला सामने आ चुका है, जिसमें मामला सेंट्रल एक्साइज को दिया गया था। इसमें 150 करोड़ रु. से अधिक की टैक्स क्रेडिट ले ली गई थी।
20 करोड़ रु. से अधिक की टैक्स क्रेडिट ली
दो करोड़ की टैक्स चोरी की संभावना : एंटी एवेजन ए विंग की एक टीम ने बाणगंगा, स्कीम 140, यशवंत प्लाजा सहित करीब दस ठिकानों पर जांच की। माना जा रहा है कि कुछ व्यापारियों ने दो करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी की है, उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। ऐसा होता है तो जीएसटी के तहत यह प्रदेश में दूसरी गिरफ्तारी होगी। पहली गिरफ्तारी हाल ही में सिवनी में हुई थी।
20 कारोबारियों केे फर्जी कामों की लगातार निगरानी हो रही थी : जांच में पता चला कि ये सभी 20 कारोबारी आपस में जुडे हैं और मिलकर यह कारोबार कर रहे थे, जिससे बिल अधिक से अधिक एक जगह से दूसरी जगह घूम सके और वह विभाग की पकड़ से बच जाएं, लेकिन विभाग ने लगातार मॉनिटरिंग कर इन्हें दबोच लिया।