भोपाल: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराने के लिए केंद्र सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। केंद्र सरकार ने बादल फंटना और आग लगने जैसी घटनाओं को भी शामिल कर लिया है। पहले जलभराव, ओलावृष्टि और भूस्खलन जैसी आपदाओं में ही किसान के खेत का सर्वे होता था, लेकिन अब बादल फंटना और आग लगने जैसी घटनाओं में भी किसान का सर्वे किया जाएगा।
उधर, किसानों की फसलों के प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद होने की स्थिति में उन्हें मुआवजा देने के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए अब किसान ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको बीमा का आवेदन करने के लिए फार्मर एप्लीकेशन यानी किसान आवेदन का विकल्प चुनना होगा। इस विकल्प पर क्लिक करते ही फॉर्म खुलकर सामने आएगा। इस फॉर्म में आपके बारे, आपके गांव के बारे, बैंक व खेती की जानकारी से जुड़े दस्तावेज और जानकारी मांगी जाएगी। इस जानकारी को भर कर आप आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। मौसम आधारित फसल यानी सब्जी-भाजी, फल का बीमा और कृषि का बीमा 31 जुलाई तक करा सकते हैं।
संरक्षण व दावोंके लिए किसानों को ये रहेंगी अपेक्षाएं
- दावों का ऑन अकाउंट भुगतान: यह उस फसल के लिए लागू होगा जिसमें मौसम में पैदावार 50 फीसदी होने की संभावना होती है। सामान्य फसल कटाई/तुड़ाई शुरू होने से 15 दिनों पूर्व में आपदा घटित होने पर यह लागू नहीं होगा।
- आपदा का व्यापक फैलाव : एरिया एप्रोच के आधार पर संचालित होता है। दावे की गणना राज्य सरकार द्वारा किए गए फसल कटाई प्रयोग के आधार पर की जाएगी।
- बचाव, रोपाई, अंकुरण के दावे: इसका बीमा इकाई (ग्राम पंचायत) का 75 फीसदी से अधिक फसल के प्रभावित होने पर होगी। यह प्रावधान बारिश के आंकड़े, उपग्रह से प्राप्त छाया चित्र के आधार पर क्षति की अधिसूचना द्वारा किया जाता है।
- स्थानीय जोखिम : संचालन व्यक्तिगत जमीन के आधार पर होगा। आपदा होने पर 72 घंटे के भीतर सूचना देना होगी। साक्ष्य के रूप में पूरी तरह भरा हुआ दावा फार्म 7 दिनों के अंदर जमा कराना होगा।
ये संरक्षित है वास्तविक उपज के आधार पर बीमा देय होगा
- बुआई/रोपाई के जोखिम से बचाव: बीमित क्षेत्र को प्रतिकूल मौसम दशाओं के कारण बुआई/रोपाई के जोखिम से सुरक्षित रखा जाता है।
- फसल पैदावार के आधार पर/व्यापक आपदा के मामले में : राज्य सरकार उत्पादन अनुमानों तथा फसल बीमा दोनों के लिए फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर पात्र वास्तविक उपज के आधार पर क्षति का बीमा देय होगा।
- फसल कटाई/तुड़ाई के बाद की हानियां: जिन फसलों को फसल कटाई के बाद खेत में फैलाना और सुखाना पड़ता है। उन्हें बारिश की विशेष आपदाओं के विरूद्ध फसल कटाई के बाद केवल दो हफ्तों की अधिकतम अवधि के लिए संरक्षण मिलेगा।
- स्थानीय आपदा : ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलमग्नता, बादल फटना, आकाशीय बिजली के कारण प्राकृतिक आग के पहचाने गए स्थानीय जोखिमों के घटित होने के फल स्वरूप हानि या क्षति।
ऐसे समझिए फसल बीमा प्रीमियम की राशि
बीमित राशि | 1,00,000 | केंद्र सरकार | 4% यानी 4,000 |
प्रीमियम रेट | 10% यानी 10,000 | राज्य सरकार | 4% यानी 4,000 |
किसान को देना (खरीफ) 2% यानी 2,000 (सोयाबीन, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, मोठ, गन्ना एवं मूंगफली, कपास)किसान को देना होगा (बागवानी) – 5 फीसदी