मोदी सरकार की ओर से लाए जा रहे नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) बिल की हर तरफ चर्चा हो रही है. कैसे ये बिल प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सीट के बदले फीस उगाही पर लगाम लगा सकता है. फिलहाल लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है. अब राज्यसभा में पारित होने के बाद ये कानून की शक्ल ले लेगा. जानें, क्या है ये बिल, क्यों चिकित्सा क्षेत्र से बिल को लेकर आ रही हैं मिली-जुली प्रतिक्रियाएं.
बिल को तमाम विरोधों के बीच इसे चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने वाला भी बताया जा रहा है. बिल की सबसे बड़ी खासियत है कि इससे निजी मेडिकल कॉलेजों की कमाई तेजी से कम होगी. सूत्रों की मानें तो अब तक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट कोटे की सीटों को एक-एक करोड़ रुपये में अयोग्य छात्रों को बेच देते थे. ये कॉलेज साढ़े चार वर्षीय एमबीबीएस के लिए हर साल करीब 15 से 25 लाख रुपये तक सालाना की फीस वसूलते थे.
देश में मेडिकल की करीब 80 हजार सीटें हैं. इसमें आधी सीटें सरकारी कॉलेजों के पास तो आधी निजी मेडिकल कॉलेजों के पास हैं. मगर एनएमसी बिल के कानून बनने पर निजी कॉलेजों के अधीन आने वाली 40 हजार सीटों का 50 प्रतिशत यानी 20 हजार सीटों की फीस सरकार निर्धारित करेगी. इस तरह सरकार के पास 60 हजार सीटों के निर्धारण का अधिकार होगा.
20 हजार सीटों पर ही निजी मेडिकल कॉलेज अपने स्तर से प्रवेश ले पाएंगे. 20 हजार सीटें इसलिए सरकार ने छोड़ीं हैं, ताकि निजी मेडिकल कॉलेज घाटे के कारण बंद न हो जाएं. अगर ये कॉलेज बंद हो जाएंगे तो फिर डॉक्टरों की कमी और बढ़ जाएगी. पहले 40 हजार सीटों पर कॉलेज डोनेशन लेकर दाखिले करते थे.
उत्तर प्रदेश चिकित्सा आयोग के सदस्य डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी ने आज तक से बातचीत में कहा कि देश वर्तमान में ट्रांसफॉर्मेशन के दौर से गुजर रहा है. अब मेडिकल सेक्टर भी बड़े बदलाव से अछूता नहीं रहेगा. अब तक पैसे के दम पर भी तमाम अयोग्य छात्र डॉक्टर बनते रहे हैं
अब अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित नीट पास करने के बाद ही किसी का दाखिला होगा. निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए भी नीट देना जरूरी है. सिर्फ डोनेशन के दम पर ही अब डॉक्टर नहीं बन सकेंगे. सरकार की कोशिश है कि योग्य छात्रों को ज्यादा सीटें मिलें. बता दें, हाल ही में जारी मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कुछ मेडिकल कॉलेजों ने नीट में जीरो नंबर होने पर भी अपने यहां एडमिशन दिए थे.
डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर्स का प्रावधान है. प्रशिक्षित चिकित्सकों को सरकार के इस कदम को सकारात्मक रूप से लेने की जरूरत है. सरकार चाहती है कि गांव-गांव स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास हो. झोलाछाप चिकित्सक जानकारी के अभाव में मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ऐसे प्रशिक्षित लोगों का नेटवर्क तैयार करना चाहती है जो प्राथमिक उपचार में ट्रेंड हों. कम से कम इतने ट्रेंड तो हों कि अस्पताल पहुंचने से पहले तक गांव-कस्बे के लोगों को वे प्राथमिक उपचार दे सकें. रजिस्टर्ड चिकित्सक और अस्पताल के अंडर में उचित ट्रेनिंग से हेल्थ प्रोवाइडर्स के जरिए सरकार झोलाछाप चिकित्सकों की समस्या खत्म करना चाहती है.
अब तक तमाम मेडिकल छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई काफी हल्के में लेते थे. वजह कि उनका निशाना पीजी में दाखिले पर होता था. वे एमबीबीएस के दौरान ही पीजी की तैयारी करते थे. जिससे एमबीबीएस की न तो ठीक से पढ़ाई करते थे और न ही ठीक से इंटर्नशिप. इस बिल में उनके लिए भी व्यवस्था की गई है.
अब एग्जिट एग्जाम भी होगा
सरकार अब MBBS के बाद एग्जिट एग्जाम की व्यवस्था होगी. यह एग्जाम कॉलेज लेवल पर नहीं बल्कि ऑल इंडिया लेवल पर होगा. डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी का कहना है कि बिल में एग्जिट एग्जाम का प्रावधान उचित कदम है. यह एक प्रकार से इलाज के लिए लाइसेंस प्रदान करने वाली परीक्षा होगी. एग्जाम जरूरी होने से अब मेडिकल छात्र एमबीबीएस की ठीक से पढ़ाई करेंगे.
#NEET & common counselling are to be made a part of the proposed Act. A common final year #MBBS exam called #NEXT will be in place to ensure quality of doctors. This will serve as entrance exam for PG courses & also dispense with licentiate exam. @MoHFW_INDIA @PMOIndia #NMCBill pic.twitter.com/4k3klHkXSE
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) July 29, 2019
सिलीगुड़ी के पास उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NBMCH) के मेडिकल छात्रों ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) विधेयक, 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
West Bengal: Medical students of North Bengal Medical College and Hospital (NBMCH) near Siliguri hold protest against the National Medical Commission (NMC) Bill, 2019. pic.twitter.com/gioAqnle2a
— ANI (@ANI) July 31, 2019