कोपेनहेगेन: उत्तरी अटलांटिक महासागर स्थितग्रीनलैंड में गुरुवार को सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया। इस वजह सेवहां सिर्फ एक दिन में 1100 करोड़ टन बर्फ की चादर पिघल गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि पिघला हुआ हिस्सा 40 लाख से अधिक ओलम्पिक पूल के पानी के बराबर था।इससे एक महीने में समुद्र का जलस्तर 0.1 मिलीमीटर या 0.02 इंच बढ़ने की आशंका है।
डेनिस मेट्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट की जलवायु वैज्ञानिक रुथ मोट्राम के अनुसार, ग्रीनलैंड में सामान्यत: गर्मियोंमें बर्फ की चादर पिघलती है। हालांकि यह प्रक्रिया मई के आखिरी दिनों में शुरू होती है मगर इस बार यह मई के पहले हफ्ते से ही पिघलना शुरू हो गई है। पिछले चार महीने से लगातार पिघल रही है।
1950 के बाद इस साल सबसे ज्यादा बर्फ पिघली
मोट्राम ने बताया- केवल जुलाई महीने में 19 हजार 700 करोड़टन बर्फ की चादर पिघली, जो 8 करोड़ ओलम्पिक स्विमिंग पूल के पानी के बराबर है। इस प्रकार इस साल इसकी संभावित पिघलने की दर 6 से 7 हजार करोड़ टन है। पिछले हफ्ते गर्म हवाएं आर्कटिक तक पहुंच गई थीं। वैज्ञानिकों ने बताया कि 1950 के बाद से ग्रीनलैंड में इस साल सबसे ज्यादा बर्फ की चादर पिघली हैं।
जुलाई महीना सबसे ज्यादा गर्म रहा: वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों ने बताया कि पूरे विश्व में अभी तक दर्ज आंकड़ों में जुलाई महीना सबसे ज्यादा गर्म रहा। अमेरिकी पत्रकार लाउरी गरेट ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया और लिखा- ग्रीनलैंड में कांगरलुसियाक पुल के नीचे ग्लेशियर पिघल रहे हैं। यहां पर 22 डिग्री सेल्सियस तापमान हैं। गुरुवार को सिर्फ 24 घंटों में 1200 करोड़ टन बर्फ पिघल गई।