भोपाल : नर्मदा जल बंटवारे पर मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार में टकराव बढ़ गया है। सरदार सरोवर डैम के दरवाजों की टेस्टिंग के लिए गुजरात नर्मदा से 4 हजार मीट्रिक क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी देने के लिए मप्र पर दबाव बना रहा है, लेकिन मप्र सरकार 1600 एमसीएम पानी दे चुकी है और इससे ज्यादा देने से उसने मना कर दिया है। कमलनाथ सरकार ने गुजरात से 40 साल पुराने नर्मदा वाटर डिस्ट्रिब्यूट ट्रिब्यूनल समझौते के मुताबिक अपने हिस्से की 1200 मेगावाट बिजली में से 57% बिजली मांगी है पर गुजरात से दो साल से न तो बिजली मिली और न ही क्षतिपूर्ति के 289 करोड़ रुपए।
समझौते में तय हुआ था कि गुजरात से बिजली नहीं मिलती है तो इसकी क्षतिपूर्ति राशि गुजरात देगा। अब मप्र सरकार ने अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब 229 करोड़ रु. की बिजली खरीदने की मजबूरी बताई है। फिलहाल मप्र के मुख्य सचिव एसआर मोहंती और एसीएस गोपाल रेड्डी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव व एनसीए चेयरमैन को तीन बार पत्र लिखकर मामले में दखल देने का आग्रह किया है। मामला दिल्ली में नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी (एनसीए) पहुंच गया है।
हमेशा घाटे में मध्यप्रदेश : प्रदेश को सरदार सरोवर डैम से 18.25 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिलना चाहिए। अभी 6.88 एमएएफ ही उपयोग में लिया जा रहा है। यह व्यवस्था 11.36 एमएएफ तक होना चाहिए थी। सभी डैम नहीं बनने पर हम इसमें पिछड़ गए हैं।
अब 2024 में होगा बंटवारा : नर्मदा वाटर डिसप्यूट ट्रिब्यूनल (एनडब्ल्यूडीटी) नर्मदा के पानी का वितरण करने के लिए 1969 में बना था। 10 साल के अध्ययन और राज्यों के दावों की सुनवाई के बाद इसने 1979 में अपना निर्णय दिया। इसे नर्मदा अवाॅर्ड के नाम से जाना जाता है। 2024 में नर्मदा अवॉर्ड से पानी का बंटवारा दोबारा होगा।
गुजरात ज्यादा पानी ले चुका : विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार थी। केंद्रीय दबाव के चलते गुजरात सरकार ने 2017-18 में मध्यप्रदेश से ज्यादा पानी हासिल कर लिया था। गुजरात को वाटर ईयर में कुल 5500 एमसीएम पानी मिलना था, लेकिन जनवरी तक 5 हजार एमसीएम पानी ले चुका था। इसके बाद फरवरी से जून के बीच 500 एमसीएम पानी बचा था, लेकिन अप्रैल से जून तक गुजरात ने अतिरिक्त पानी लिया।
मजबूरी : 229 करोड़ रु. की बिजली मप्र को खरीदनी पड़ेगी।
जरूरत : 138.68 मी. पानी मांग रहा है गुजरात, ताकि बांध पूरा भर सके।
हकीकत :121.92 मी. पानी दे रहा मप्र, ताकि प्रदेश के गांव डूबने से बच जाएं।
कितना मिला : 5000 एमसीएम पानी गुजरात ले चुका 2017-18 में।
सरदार सरोवर जलाशय विनियमन समिति की बैठक में सदस्य राजीव सुकलीकर और नीरज व्यास ने मप्र का बिजली मुद्दा उठाया था। बाद में वे बैठक बीच में ही छोड़ आए। बैठक में मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र और भारत सरकार के प्रतििनधि भी मौजूद थे। हाल ही मप्र में नर्मदा घाटी विकास विभाग के मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने कहा था कि भाजपा सरकार में गुजरात को ज्यादा पानी मिला। अब ऐसा नहीं होगा।
जवाब : गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि 40 साल में नर्मदा जल बंटवारे पर कभी विवाद नहीं हुआ है, लेकिन मप्र सरकार अब ऐसा कर रही है। मप्र को 57 फीसदी पनबिजली मिल रही है। रूपाणी का दावा कैनाल वाले 250 मेगावाट वाले प्लांट से बिजली देने का है, जबकि मध्यप्रदेश ने 1200 मेगावाट से बिजली मांगी है। — नितिन पटेल, डिप्टी सीएम, गुजरात
हम गुजरात को पानी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गुजरात को हिस्से के मुताबिक पानी मिल रहा है। अतिरिक्त पानी नहीं देंगे। प्रदेश के परिवारों को विस्थापन में थोड़ा समय लगेगा, ये मानवीय हित सोचना होगा। – सुरेंद्र सिंह बघेल, मंत्री, नर्मदा घाटी विकास विभाग