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सुषमा स्वराज के निधन पर दुनिया भर में शोक

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली.


भावुक हो गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुषमा स्वराज के घर पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने यहां सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल से मुलाकात की और संवेदना प्रकट की. इस दौरान सुषमा स्वराज के अंतिम दर्शन कर प्रधानमंत्री भावुक भी हो गए.

सुषमा ने अपनी जीवन यात्रा में तमाम ऐसे मुकाम हासिल किए जिन पर देश को हमेशा गर्व रहेगा. सियासी सफर में ऊंचाइयां चढ़ते हुए उन्होंने अपने निजी जीवन को भी बखूबी संजोया. आइए जानते हैं उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव. सुषमा का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था. उनका जन्म अंबाला कैंट, हरियाणा में हुआ था. सुषमा स्वराज हरदेव शर्मा और लक्ष्मी देवी की बेटी थीं.

स्वराज कौशल से शादी से पहले सुषमा स्वराज सुषमा शर्मा थीं. (फोटो में पति स्वराज कौशल के साथ सुषमा)

सुषमा स्वराज के माता-पिता पाकिस्तान के लाहौर के धर्मपुर से थे. बाद में वे हरियाणा में आकर बस गए थे. पाकिस्तान के अपने आखिरी दौरे में सुषमा धर्मपुर भी गई थीं. सुषमा ने अंबाला कैंटोनमेंट के सनातन धर्म कॉलेज से शुरुआती शिक्षा पूरी की. उन्होंने संस्कृत और राजनीति विज्ञान में बैचलर डिग्री ली थी, उसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की पढ़ाई की थी.अंबाला कैंट के एसडी कॉलेज से पढ़ाई करते हुए उन्होंने लगातार तीन वर्षों तक एनसीसी के बेस्ट कैडेट का खिताब भी जीता था.

सुषमा को क्लासिकल म्यूजिक, कविता, फाइन आर्ट्स और ड्रामा में दिलचस्पी थी. वाकई वह शानदार ऑलराउंडर थीं. 1970 में सुषमा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुई थीं और यहीं से उनका सियासी सफर शुरू हुआ था. सुषमा स्वराज के पिता भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे.

सुप्रीम कोर्ट में करियर की शुरुआत-
1973 में सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की. वह बड़ौदा डायनामाइट मामले (1975-77) में स्वराज कौशल के साथ जॉर्ज फर्नांडीस की लीगल टीम का हिस्सा थीं. सुषमा स्वराज ने 13 जुलाई 1975 को स्वराज कौशल के साथ शादी की थी. स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील के तौर पर काम कर रहे थे और उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 34 साल थी. स्वराज कौशल फरवरी 1990 से फरवरी 1993 के बीच मिजोरम के राज्यपाल भी रहे.

दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में साथ-साथ काम किया था. उन्होंने और स्वराज कौशल ने आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. यहीं से दोनों की नजदीकियां और बढ़ीं और उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन यह इतना भी आसान नहीं था. दोनों को अपने परिवारों को मनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

सबसे युवा कैबिनेट मंत्री
1977 में जनता पार्टी की सरकार में 25 वर्षीय सुषमा स्वराज सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बन गई थीं. 27 वर्ष की उम्र में सुषमा जनता पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं. वह किसी राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता भी बनीं. इसके अलावा, बीजेपी की पहली महिला मुख्यमंत्री, विपक्ष की पहली महिला महासचिव, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, प्रवक्ता और विदेश मंत्री बनने का भी खिताब उनके नाम ही है.


अंडरवर्ल्ड से लेकर कानूनी कागजों तक फिल्म प्रोडक्शन के इंडस्ट्री बनाने तक के सफर में भी सुषमा स्वराज का ही हाथ था. सुषमा ने ही फिल्म प्रोडक्शन को इंडियन फिल्म इंडस्ट्री घोषित किया जिससे फिल्मी जगत को बैंक फाइनेंस में सुविधा होने लगी. स्वराज उस वक्त (1998) में केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री थीं.

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
1998 में (13 अक्टूबर-3 दिसंबर) तक काफी कम समय के लिए वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. सुषमा ने 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को कर्नाटक की बेल्लारी संसदीय सीट से चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी. इसी वक्त वह लोगों के बीच लोकप्रिय हुईं. सुषमा केवल 12 दिनों का कैंपेन करके ही 358,000 वोट जीतने में कामयाब रही थीं. वह सोनिया से सिर्फ 7 फीसदी मतों से हारी थीं.

6 एम्स खोले
जब वह जनवरी 2003 से मई 2004 तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में 6 एम्स खोले.

सांसद के तौर पर शानदार प्रदर्शन
2004 में सुषमा को आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंटेरियन अवार्ड से नवाजा गया था. वह पहली और इकलौती महिला सांसद हैं जिन्हें यह सम्मान मिला. वह सात बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं और 3 बार विधानसभा सदस्य रहीं. तेलंगाना के गठन में भी सुषमा स्वराज ने अहम भूमिका निभाई थी. सुषमा को इसके लिए अपने गुरू और वरिष्ठ बीजेपी नेता एल के आडवाणी से भी बहस करनी पड़ी थी. एक बार उन्होंने कहा था, तेलंगाना, जब आप सोनिया अम्मा को तेलंगाना के लिए शुक्रिया कहिए तो अपनी चिनम्मा (सुषमा स्वराज) को भी मत भूलिएगा.

दूसरी महिला विदेश मंत्री-
इंदिरा गांधी के बाद वह भारत की दूसरी महिला विदेश मंत्री बनी थीं. मोदी सरकार में वह विदेश मंत्री के तौर पर हर भारतीय की मदद करने के लिए तैयार रहती थीं. यमन संकट के वक्त ऑपरेशन राहत उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. भारत ने यूके, रूस, यूएस जैसे देशों की मदद की. सुषमा की बेटी बांसुरी स्वराज भी अपनी मां के पदचिह्नों पर ही हैं. बांसुरी ऑक्सफोर्ड ग्रैजुएट हैं और उन्होंने कानून की पढ़ाई की है. सुषमा राजनीति में हर किसी के लिए एक प्रेरणास्रोत रहीं और हमेशा रहेंगी.

सुषमा के निधन पर देश और दुनिया के राजनेताओं ने दुख व्यक्त किया. इजरायल ने सुषमा स्वराज के निधन पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि सुषमा स्वराज के निधन की खबर सुनकर दुखी हैं.

इजरायल इन इंडिया के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि भारत और इजरायल के संबंधों के प्रति उनके समर्पण, करुणा और योगदान को भुलाया नहीं जाएगा. इस ट्वीट में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सुषमा स्वराज की एक फोटो भी है. वहीं अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने भी स्वराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

गृह मंत्री अमित शाह ने सुषमा स्वराज के घर पर पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि दी. अमित शाह ने कहा कि सुषमा जी के असमय निधन से हर कोई दुखी है. भाजपा का हर कार्यकर्ता आज उन्हें याद कर रहा है और दुखी है. शाह ने कहा कि सुषमा ने देश की ख्याति बढ़ाने का काम किया है.

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